भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान रविवार, 20 सितम्बर को मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 13 हजार स्व-सहायता समूहों से जुड़े एक लाख 30 हजार से अधिक जरूरतमंद ग्रामीण परिवारों को 200 करोड़ रूपये की ऋण राशि प्रदान करेंगे। यह दिन स्व-सहायता समूहों से जुड़े लोगों के लिए यादगार दिन सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान इस ऋण वितरण के लिये वर्चुअल कार्यक्रम में भोपाल से शामिल होकर दमोह, देवास तथा शिवपुरी जिलों के हितग्राहियों से संवाद भी करेंगे। कार्यक्रम को दूरदर्शन के क्षेत्रीय चैनल्स के साथ ही वेबकास्ट, ट्विटर, फेसबुक, यू-ट्यूब के माध्यम से सीधा देखा जा सकेगा।
संक्रमण को रोकने में भी निभाई है भूमिका
मध्यप्रदेश में स्व-सहायता समूहों की भूमिका बहुत रचनात्मक रही है। विशेष रूप से महिला स्व-सहायता समूहों ने तो कोविड-19 के कठिन समय में अपने साहस से आत्मनिर्भर होने की राह खुद चुनी। महिला स्व-सहायता समूहों ने बड़ी संख्या में मध्यप्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोककर लोगों की जिन्दगी बचाने में अहम भूमिका अदा की। महिला स्व-सहायता समूहों ने जीवनशक्ति योजना में मास्क बनाकर स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल स्टोर्स और ग्राम पंचायतों को उपलब्ध करवाए। यही नहीं स्व-सहायता समूहों ने पीपीई किट्स भी तैयार किए। मध्यप्रदेश के इस नवाचार को पूरे देश में सराहा गया।
राज्य सरकार ने स्व-सहायता समूहों को सरलता से ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बैंकों के साथ व्यापक समन्वय स्थापित किया है। मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले निर्धन परिवारों की महिला सदस्यों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ कर उनके सामाजिक, आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयास किए हैं।
प्रक्रिया हुई अब सरल और पारदर्शी
आमतौर पर प्रशासनिक तंत्र का भी यह अनुभव रहा है कि स्व-सहायता समूहों को मिलने वाले ऋण के लिए बैंक के स्तर पर काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। गाँव में जीविका के प्रबंध में लगे स्व-सहायता समूह सदस्य बैंकों के चक्कर लगाने में असमर्थ हो जाते हैं। इसके फलस्वरूप पात्र होते हुए भी उन्हें लाभ से वंचित होना पड़ता है। राज्य शासन ने बैंक से ऋण लेने की प्रक्रिया को सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरल और पारदर्शी बना दिया है। प्रदेश में स्व-सहायता समूहों के वार्षिक ऋण वितरण का लक्ष्य 1400 करोड़ है। आजीविका मिशन के माध्यम से प्रदेश में अब तक 33 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को स्व-सहायता समूहों से जोड़ कर लगभग डेढ़ हजार करोड़ रूपये की राशि बैंक के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जा चुकी है।