भोपाल । स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री इन्दर सिंह परमार ने मंत्रालय में डिजिटल डिजाईन शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘जिज्ञासा’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर श्री परमार ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता सबसे अह्म मुद्दा है। आधुनिक तकनीकी युग में डिजिटल क्रांति से पूरी दुनियां जुड़ी हुई है। इन परिस्थितियों में मध्यप्रदेश को भी कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। कोरोना संक्रमण के संकटकाल में शिक्षा विभाग ऑनलाइन शिक्षा के लिये कई नवाचार कर रहा है। ‘जिज्ञासा’ इसी क्रम में एक सबसे महत्वपूर्ण अभियान है। जिसमें शिक्षकों को डिजिटल डिजाईनिंग का प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिससे शिक्षक खुद प्रोग्राम, ग्राफिक्स एवं एनीमेशन के माध्यम से बच्चों को रूचिकर तरीके से पढ़ा सकेंगे। बच्चे भी अपने फोन, कम्प्यूटर या लेपटाप के माध्यम से किसी भी जगह से पढ़ाई कर सकेंगे। मंत्री श्री परमार ने कहा कि मुझे आशा है कि प्रशिक्षण के उपरांत सभी प्रशिक्षक अपने-अपने विषयों में और अधिक दक्ष होकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने कहा कि जिज्ञासा के तहत ट्रेनिंग पाकर शिक्षक खुद प्रोग्राम बनाकर बच्चों को बेहतर ढंग से सिखा पायेंगे। इस कार्यक्रम के माध्यम से ऐसे मापदंड स्थापित होंगे, जिससे सभी टीचर प्रोत्साहित होकर और बेहतर कार्य करेंगे।
आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र श्री लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि जिज्ञासा के लिये 2000 शिक्षकों के नामांकन आये हैं। जिन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा।
संगीत के साथ बच्चे अर्जित करेंगे भाषा ज्ञान
मंत्रालय में स्कूल शिक्षा मंत्री श्री परमार ने वर्णमाला पर आधारित 2 गीतों का लोकार्पण किया। मंत्री श्री परमार ने कहा कि ये गीत बच्चों को रुचिकर तरीके से वर्णमाला सीखने में मदद करेंगे। ये दोनों गीत हिन्दी वर्णमाला के स्वर एवं व्यंजन पर आधारित हैं। गीतों के माध्यम से बच्चे रोचक ढंग से हिन्दी वर्णमाला को सीखेंगे।
प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरूण शमी ने बताया कि शंकर महादेवन अकादमी बैंगलुरू द्वारा हिंदी वर्णमाला के स्वर एवं व्यंजनों को बड़े की रोचक तरीके से गीत रूप में पिरोया गया है। बच्चे जितना ज्यादा शब्दों को सुनते हैं, उतना ही उनका भाषा ज्ञान बढ़ता है। खासकर गीत के माध्यम से सीखा गया पाठ हमेशा याद रहता है। प्राथमिक कक्षा के पाठ्यक्रम में हिन्दी वर्णमाला को गीत या राइम के फॉर्म में पहली बार शामिल किया गया है। इसे बच्चे बड़ी आसानी और रुचिकर तरीके सीखकर लम्बे समय तक याद रख पायेंगे।
उपसचिव श्रीमती अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिये विद्यार्थियों को स्टीम (steam) एजुकेशन से जोड़ा जा रहा है, जिसमें साइंस, टेक्नालॉजी, आर्ट एवं मैथ्स को समेकित रूप में लागू करने की योजना है। बच्चे आर्ट एवं कला के साथ साइंस के विषयों को और अधिक अच्छे से सीखते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्णमाला को गीत रूप में बनाकर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
स्कूल की व्यवस्थाओं एवं गुणवत्ता में सुधार के लिये बीआरसीसी/बीएसी/सीएसी का ऑनलाइन प्रशिक्षण
स्कूल शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार ने मंत्रालय में बीआरसीसी/बीएसी/सीएसी के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी समाज का सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा होता है! बच्चों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना प्रत्येक समाज का दायित्व है। प्रत्येक बच्चे को स्कूली शिक्षा से जोड़ना होगा। मंत्री श्री परमार ने कहा कि आप लोगों की भूमिका अकादमिक दक्षता में सबसे महत्वपूर्ण है। प्रशिक्षणार्थियों को मार्गदर्शन के साथ-साथ स्कूल की समेकित व्यवस्था के सुधार में प्रयास करना चाहिए। आशा करता हूँ कि सभी प्रशिक्षणार्थी अच्छे से ट्रेनिंग लेकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में अपना अधिक से अधिक योगदान देंगे।
प्रमुख सचिव श्रीमती रश्मि अरुण शमी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग है। वर्तमान कोरोना संक्रमण के संकट में शिक्षा देने के तरीकों में बदलाव आ रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी प्रशिक्षणार्थी बेहतर तरीके से प्रशिक्षण लेकर अपने कार्य को बेहतर तरीके से करें। सामूहिक एवं संगठित प्रयास को बेहतर और समर्पण के साथ करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये कारगर प्रयास करें।
आयुक्त, लोक शिक्षण श्रीमती जयश्री कियावत ने कहा कि सीखना एक निरंतर प्रक्रिया है प्रशिक्षण ठीक से लिया जाये तो कार्य को और बेहतर तरीके से किया जा सकता है। प्रशिक्षण, ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण में बदलाव लाता है। श्रीमती कियावत ने कहा कि बीएसी एवं सीएसी ऐसी महत्वपूर्ण कड़ी हैं जो शिक्षा की गुणवत्ता एवं स्कूल की व्यवस्थाओं में सुधार ला सकते हैं।
आयुक्त राज्य शिक्षा श्री लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि बीआरसीसी/बीएसी/सीएसी के बैच बनाकर प्रशिक्षण दिया जायेगा। कुल 15 सत्र होंगे। जिनमें सॉफ्ट स्किल्स, शैक्षिक संवाद, पुस्तकालय का इस्तेमाल, कॉपी विश्लेषण, अध्यापकों के साथ सहभागितापूर्ण काम सहित अन्य बिन्दुओं पर प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन अकादमिक सपोर्ट क्षमतावर्धन प्रशिक्षण के तहत बीआरसीसी, बी.ए.सी और सीएसी को कई स्तरों पर प्रशिक्षित किया जाकर शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जायेगा। इस प्रशिक्षण में अकादमिक मॉनिटरिंग, भाषा और गणित विषयों के शिक्षण से जुड़ी समस्याओं एवं जिज्ञासाओं के समाधान में मदद मिलेगी।