संजीवनी जैसी स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार
संजीवनी जैसी स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए मुख्यमंत्री का आभार
अधिकारियों-कर्मचारियों को पहली नजर में भा गई योजना
भोपाल। शासकीय सेवा से सेवा-निवृत्त हुए अधिकारियों-कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना को संजीवनी के समान बताते हुए मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ के प्रति आभार व्यक्त किया है। उनका कहना है कि सेवा-निवृत्त हुए शासकीय सेवकों की पेंशन का ज्यादातर पैसा स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च होता है। इस योजना से पेंशनधारी बड़े वर्ग को राहत मिलेगी।
श्री गणेश दत्त जोशी सेवा-निवृत्त सहायक सांख्यिकीय अधिकारी हैं। वे 2007 में सेवा-निवृत्त हुए और पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश में वरिष्ठ प्रांन्तीय उपाध्यक्ष के रूप में काम कर कर रहे हैं। साथ ही वे मध्यप्रदेश शासन के पेंशनर्स कल्याण मंडल के सदस्य की भूमिका भी बखूबी निभा रहे हैं। श्री जोशी कहते है ‘शासकीय सेवा का विराम हो सकता है लेकिन काम तो लगातार चलता रहता है। अच्छे कामों की श्रृंखला चलते रहना चाहिए। इसलिए वर्तमान में पेंशनर्स की समस्याओं का समाधान करने में अपना सहयोग देता हूँ।’
योजना का हर बिन्दु प्रभावी
श्री जोशी कहते है कि ”श्री कमल नाथ पहले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने प्रदेश के सेवा-निवृत्त सेवकों के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर सम्पूर्णता में विचार कर मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना को ठोस रूप दिया। वृद्ध अवस्था में इलाज की सबसे ज्यादा जरुरत होती है । पहली नज़र में यह योजना सरल और आसानी से लागू होने योग्य दिखती है । इसका हर बिन्दु प्रभावित करता है।
श्री जोशी का कहना है कि ”पता चला है कि मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना एक अप्रैल 2020 से शुरू होना है। इसलिये सभी सेवारत एवं सेवा-निवृत सेवकों से 25 मार्च 2020 तक योजना में शामिल होने का विकल्प भरवाया जाना चाहिए ताकि समय पर उनके अंशदान की राशि काटी जा सके।” उनका यह भी मानना है कि ”मध्यप्रदेश के बाहर जैसे तमिलनाडु, उत्तराखंड, झारखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि में बस गए सेवा-निवृत शासकीय सेवकों को भी इस योजना में शामिल किया जाना चाहिए।’
श्री शंकरलाल सोनी नगर पालिका परिषद से वर्ष 2015 रिटायर हुए। वे संडे की पाठशाला चलाते हैं और गरीब बच्चों को पढ़ाते हैं। वे पर्यावरण के प्रति बेहद संवेदनशील हैं और इच्छुक लोगों को पर्यावरण शिक्षा देते हुए पौधा गमला निःशुल्क बांटते हैं। मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए श्री सोनी कहते है कि ”ऐसी ठोस योजना से हम जैसे हजारों परिवारों को लाभ होगा ।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग छतरपुर में सिविल इंजीनियर पद से 2010 में सेवा-निवृत्त हुए श्री जी. एस. खरे पेशनर एशोसियेशन छतरपुर के उपाध्यक्ष हैं और समाज सेवा के कई कार्यों से जुड़े हैं। वे कहते है कि ”बीमा योजना पेंशनर के लिए एक बेहतर योजना है। यह योजना सरकार का स्वागत योग्य कदम है।’ वर्ष 2018 में आर. आई. (राजस्व ) के पद से रिटायर हुए श्री शंकर शरण खरे कहते हैं कि ”बहुत दिनों बाद स्वास्थ्य की दृष्टि से बुढ़ापे की खबर सरकार ने ली है। इसके लिए मुख्यमंत्री की सोच की जितनी तारीफ़ करें, कम है।”
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से 2015 में एस. डी. ओ. पद से रिटायर हुए श्री लखन सिंह पेशन संघ के कोषाध्यक्ष हैं। वे इस योजना से बेहद उत्साहित हैं और कहते हैं कि यह हमारे पेंशनधारी समाज के लिए संजीवनी का काम करेगी।
छोटे पद से रिटायर लोगों को बड़ा लाभ
वन विभाग छिन्दवाड़ा से असिस्टेंट ग्रेड 2 के पद से 2017 में सेवा-निवृत्त हुए श्री मजीद मोहम्मद का कहना है कि यह योजना आसानी से अमल में आने वाली है। इससे कई परिवारों को लाभ मिलेगा। सबसे अच्छी बात यह है कि छोटे पद से सेवा-निवृत्त कर्मचारियों के लिये यह योजना बहुत लाभदायी होगी।
लोक निर्माण विभाग से सेवा-निवृत्त हुए श्री जी.वी. नवघरे पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश भोपाल की छिन्दवाड़ा शाखा के अध्यक्ष हैं। वे कहते हैं कि श्री कमल नाथ सबको साथ लेकर चलने वाले मुख्यमंत्री हैं। वे सिर्फ काम पसंद करते हैं और काम करने वालों को प्रोत्साहित करते हैं। यह योजना उनकी समावेशी सोच को दर्शाती है। इससे सेवा-निवृत्त हुए एक बड़े वर्ग को लाभ मिलेगा। इसे योजना को वे ‘अत्यंत व्यावहारिक योजना’ बताते हैं।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ की पहल पर मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने का निर्णय लिया गया है। इससे लगभग 12 लाख 55 हजार अधिकारियों-कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। इसमें सभी नियमित शासकीय कर्मचारी, सभी संविदा कर्मचारी, शिक्षक संवर्ग, सेवा-निवृत्त कर्मचारी, नगर सैनिक, आकस्मिक निधि से वेतन पाने वाले पूर्ण कालिक कर्मचारियों और राज्य की स्वशासी संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री कर्मचारी स्वास्थ्य बीमा योजना में बाहय रोगी ओपीडी के रूप में प्रतिवर्ष 10 हजार रूपये तक का नि:शुल्क उपचार मिलेगा अथवा नि:शुल्क दवाएं मिलेंगी। सामान्य उपचारों के लिए प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख रूपये और गंभीर उपचारों के लिए 10 लाख रूपये तक की नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मिलेगी।