विभाग के अधीन जल संरचनाओं की सुरक्षा ऑडिट रिपोर्ट बनाई जाए – मंत्री श्री सिलावट
भोपाल । जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने केरवा डेम रेस्ट हाउस में जल संसाधन विभाग की समीक्षा बैठक में निर्देश दिये कि प्रदेश में लंबित सिंचाई परियोजनाओं को समय-सीमा में पूरा किया जाए। किसी भी परियोजना में सालों की देरी नहीं होना चाहिए। यह किसानों के हित से जुड़ा हुआ मुद्दा है। परियोजना के पूर्ण होने से किसानों को सिंचाई के लिये समय पर पानी उपलब्ध होगा, जिससे कृषि उत्पादन को दोगुना करने में मदद मिलेगी। जल संसाधन विभाग के तालाब, डेम की सुरक्षा का ऑडिट किया जाए और उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
मंत्री श्री सिलावट ने कहा कि परियोजनाओं और नहरों के आसपास कोई अतिक्रमण हो तो उसे तुरंत हटाने की कार्यवाही की जाए। विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों को एक माह में निराकृत किया जाए। प्रदेश के पाँच आदिवासी जिलों में प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना के अंतर्गत एक हजार 700 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें केन्द्र का 60 प्रतिशत और राज्य सरकार का 40 का अंश होगा। इस योजना के अंतर्गत 24 हजार आदिवासी किसान लाभान्वित होंगे। विभाग के सभी अधिकारी पारदर्शिता से काम करें।
श्री सिलावट ने कहा कि मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश की केन-बेतवा संयुक्त परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिये उत्तरप्रदेश के सिंचाई मंत्री के साथ बैठक की जाएगी। इसके लिये विभागीय स्तर पर कार्यवाही करें। आने वाले वर्षों में 51 लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाईं क्षमता का लक्ष्य पूरा करना है। इसके लिये लंबित परियोजनाओं को समय-सीमा में पूर्ण किया जाए। दिसम्बर 2020 तक पूर्ण होने वाली परियोजनाओं को अक्टूबर माह में ही पूर्ण किया जाए, ताकि किसानों को सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराया जा सकें।
इसके साथ ही अगली विभागीय समीक्षा बैठक ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, इंदौर संभाग में आयोजित करने के निर्देश दिये हैं।
मंत्री श्री सिलावट ने जल संसाधन विभाग के सभी डैम की ऑडिट रिपोर्ट और सुरक्षा की अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के निर्देश दिए। सभी अधिकारी फील्ड में लगातार भ्रमण करते रहें। प्रत्येक माह की दौरा डायरी और निरीक्षण रिपोर्ट रिकार्ड में रखें, इसकी जांच कभी-भी की जा सकती है। बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री एस.एन. मिश्रा ने कहा कि सभी अधिकारी समय-सीमा को ध्यान में रखते हुए परियोजनाओं को पूर्ण करें।
बैठक में जल संसाधन के जबलपुर, इंदौर, भोपाल, रीवा, सिवनी, बैतूल और ग्वालियर संभागों की समीक्षा की गयी। जिसमें बताया गया कि भोपाल और इंदौर संभाग में वर्षा कम होने के कारण बांधों और तालाबों में पानी कम है, जबकि अन्य संभागों की जल संरचनाओं में 80 प्रतिशत तक पानी का भराव हो चुका है। विभाग के डेम और तालाबों में 63 प्रतिशत जल संरचना पानी से भर चुकी है। विगत वर्ष 29 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराया गया था। इस वर्ष 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्री श्री सिलावट ने जबलपुर संभाग के सभी डेम और तालाबों की अद्यतन स्थिति की 3 दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये। मंत्री श्री सिलावट ने अधिकारियों के साथ केरवा डेम का भी निरीक्षण किया और निर्देश दिये कि आगामी बैठकों को संभाग स्तर पर आयोजित किया जाए।
बैठक में अपर मुख्य सचिव श्री एस. एन. मिश्रा और प्रदेश के सभी जल संसाधन विभाग के संभागीय अधिकारी उपस्थित थे। प्रदेश में जल संसाधन के डेम से नगरीय निकायों, पंचायतों, उद्योगों को दिए जाने वाले पानी से मिलने वाली राशि की वसूली की जाए।