वन स्टॉप सेंटर की जानकारी आम लोगों को भी हो
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य श्रीमती श्यामला ने की विभागीय योजनाओं की समीक्षा
भोपाल। राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य श्रीमती श्यामला एस. कुदंर ने मंगलवार को महिला-बाल विकास विभाग के अधिकारियों के साथ विभिन्न योजनाओं की प्रगति पर चर्चा की। श्रीमती कुदंर दो दिवसीय प्रवास पर मध्यप्रदेश में है।
बैठक मे श्रीमती श्यामला एस. कुदंर ने कहा कि प्रदेश में संचालित वन स्टाप सेंटर की जानकारी आम-जन को भी होना चाहिये। इसके लिए लोगों को जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर महिलाओं को इस सेंटर की जानकारी होना चाहिये जहाँ पर किसी भी हिंसा पीड़ित महिला को एक ही स्थान पर चिकित्सा सेवा, कानूनी एवं पुलिस सहायता, रहने की व्यवस्था तथा मानसिक और भावनात्मक सहयोग मिलता है। उन्होंने कहा कि यह कोशिश हो कि सभी वन स्टॉप सेंटर अपने भवन में ही चलें। ऑगनवाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से गाँव में ग्राम सभा के दौरान वन स्टॉप सेंटर की जानकारी और उसकी महत्ता के बारे में बताये। महिलाओं से संबंधित जो कानून बने है इसकी जानकारी भी साझा की जाए।
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य श्रीमती श्यामला ने कहा कि हर विभाग में चाहे संगठित हो या असंगठित, आंतरिक शिकायत समिति का होना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल को मूर्तरूप से क्रियान्वित करने के लिए ऑगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से स्व-सहायता समूह को जोड़ने का कार्य करें। स्व-सहायता समूहों को सशक्त करना आवश्यक है। विभाग स्वंय भी शासकीय योजनाओं के अतिरिक्त महिला सशक्तिकरण के विभिन्न विषयों पर प्रोजेक्ट तैयार कर मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर उसे क्रियान्वित कराने की कोशिश करें। श्रीमती श्यामला ने मध्यप्रदेश में संचालित लाड़ली लक्ष्मी योजना की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस सफल योजना को दूसरे राज्यों ने भी अपनाया है।
संचालक महिला-बाल विकास श्रीमती स्वाति मीणा नायक ने अतिरिक्त जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश के समस्त 52 जिलों में वन स्टॉप सेंटर संचालित है। इनमें लगभग 29 हजार 826 महिलाओं का पंजीयन किया जा चुका है। पीड़ित महिलाओं को त्वरित सहायता प्राप्त हो सके इसके लिए सभी सेंटर्स को महिला हेल्पलाइन 181 से जोड़ा गया है। श्रीमती नायक ने बताया कि मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य है जिसमें कुल 39 वन स्टॉप सेंटर को आई.एस.ओ.प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि अन्य प्रदेशों की लगभग 523 महिलाओं/बालिकाओं को उनके निवास स्थान, ग्रहों में पुर्नवास किया गया। इसके अतिरिक्त 130 महिलाओं को कम्प्यूटर ऑपरेटर, कॉलसेंटर, केयर टेकर, कोचिंग सेंटर, ब्यूटी पार्लर, हाउस कीपिंग, कैब ड्राइवर आदि क्षेत्रों में रोजगार दिलाकर आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।