लॉकडाउन में प्रारंभ हुआ सृजन का अध्याय

भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान को जब कान्हावाडी की कांति देवी ने कोविङ -19 के दौरान नक्षत्र वाटिका विकसित करने के बारे में बताया, तो श्री चौहान खुद को यह कहने से नहीं रोक पाये कि यह अनूठी और अद्भुत पहल तो आपदा को अवसर में बदलने का सटीक प्रमाण है। इस चर्चा में ही धार जिले के अनसिंह गंगाराम ने मांडव के पासे बने फासिल पार्क में हुए विकास कार्यों की जानकारी दी तो मुख्यमंत्री की सहज प्रतिक्रिया थी कि ”मैं इसे दखने जरूर आऊंगा”। फॉसिल पार्क में डायनासोर के अंडों सहित दुर्लभ जीवाश्म का संग्रह है। श्री चौहान गत दिवस वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से मंत्रालय से विभिन्न जिले के मनरेगा मजदूरों से बात कर रहे थे।

सर्वविदित है कि कोविड-19 के कारण यह वर्ष सभी के लिए असाधारण और चुनौतीपूर्ण रहा है। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण अपने गृह ग्रामों में लौटे और स्थानीय श्रमिकों को राहत देने के लिये काम के अवसर सृजित करना जरूरी था। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसे अपनी जिम्मेदारी मानते हुए गांव-गांव में कार्य आरंभ किये। प्रदेश में 7 लाख 81 हजार कार्य आरंभ कर 79 लाख 80 हजार श्रमिकों को रोजगार दिलाया गया। इन कार्यों ने मजदूरों को आजीविका तो दी ही, साथ ही प्रदेश में सृजन का नया अध्याय आरंभ कर दिया।

भोपाल से 180 किलोमीटर दूर बैतूल जिले की कान्हावाडी ग्राम पंचायत में विशाल नक्षत्र वाटिका बनकर तैयार है। दरअसल कान्हावाड़ी में 400 परिवारों को काम देने की चुनौती थी। साथ ही 13 श्रमिक भी अन्य क्षेत्रों से यहां आये थे। ग्राम पंचायत ने औषधियों और पोषण से जुड़े पेड़ पौधे लगाने का अभियान शुरू किया। इस गतिविधि से पूरी नक्षत्र वाटिका विकसित करने की दिशा में काम आरंभ हो गया। ग्राम पंचायत ने नवाचार के तहत नक्षत्र वाटिका स्वीकृत की। जिसे मनरेगा और 14वें वित्त आयोग से जोड़ा गया। कुल 12 हजार हेक्टेयर फीट में तैयार वाटिका में 27 नक्षत्र, 12 राशि और 9 गृहों की दिशा के अनुरूप नक्षत्र, राशि और गृहों के सूचक पौधे रोपे गए हैं। वाटिका में एक्युप्रेशर ट्रैक, पाथ वे, सात प्रकार की तुलसी के पौधों का ‘तुलसी कानन’ बनाया गया है। औषधि कानन और पोषण वाटिका भी इसी परिसर का भाग है। लॉकडाउन की अवधि में कान्हावाड़ी ग्राम पंचायत ने 534 लोगों को मनरेगा के तहत कार्य प्रदान कर 19 हजार 945 मानव दिवस सृजित किए। नक्षत्र वाटिका को विकसित करने में मुख्यत: गांव की महिलाओं ने मिस्त्री का कार्य किया। कोरोना लॉकडाउन के बाद कांति जैसी कई महिलाओं को पंचायत में ही काम मिलने से किसी प्रकार की आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस नवाचार के लिए कांति देवी आदि सभी को बधाई दी है।

इसी प्रकार इंदौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर धार जिले में मांडव से लगे हुए ग्राम सुलीबर्डी में फॉसिल पार्क विद्यमान है। विकासखंड नालछा का यह क्षेत्र 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व डायनासोर का विचरण क्षेत्र रहा है। इस क्षेत्र की खुदाई के दौरान मिले अवशेषों को फॉसिल पार्क में संग्रहित किया गया है। मनरेगा के अंतर्गत इस फॉसिल पार्क को विकसित करने के लिए 35.66 लाख रुपए की लागत से तालाब, बोल्डरवाल, लेवलिंग कार्य और अन्य गतिविधियां संचालित की गई।

ग्राम पंचायत सुलीबर्डी के अनसिंह, गंगाराम और सुखीबाई गिरधारी जैसे कई लोगों ने कोविड-19 से बचाव के लिये सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये मुंह पर मास्क लगा के काम किया। लॉकडाउन में अपने गांव में ही काम मिलने का संतोष ग्रामीणों की आंखों में बखूबी झलक रहा है।

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