राष्ट्रीय एकलव्य खेल प्रतियोगिता के “मुन्ना बाघ के लिये वन विहार में बाड़ा तैयार
भोपाल। देश के सबसे लोकप्रिय बाघों में से एक और बरसों कान्हा की शान के नाम से मशहूर ‘मुन्ना’ बाघ के लिये वन विहार में नया घर (बाड़ा) तैयार हो गया है। मुन्ना बाघ आजकल भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय एकलव्य खेल प्रतियोगिता की पहचान (लोगो) बन गया है। इसे हाल ही में कान्हा टाइगर रिजर्व से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया है।
पूरे विश्व में यह 17 वर्षीय बाघ मुन्ना अपने माथे पर अंकित धारियों ‘CAT’ और उसके नीचे ‘PM’ के लिये जाना जाता है। मुन्ना अपनी राजसी चाल-ढाल और फोटो खिचवाने की निर्भीक अदा के कारण पर्यटकों, छायाचित्रकारों और बाघ संरक्षणविदों के बीच बहुत अधिक लोकप्रिय रहा है। आयकॉन बन चुके मुन्ना के वीडियो और फोटोज को करोड़ों लोगों द्वारा सराहा गया है। बिल्ली प्रजाति का होने के कारण बाघ को आम भाषा में कैट या सुपर कैट भी कहा जाता है।
सामान्यत: जंगल में बाघ की उम्र 10-12 वर्ष होती है। विगत वर्षों में अपने सुन्दर, फुर्तीले और बलवान शरीर से करोड़ों प्रशंसकों का दिल जीतने वाला मुन्ना वृद्धावस्था के कारण थोड़ा कमजोर हो गया है। चारों केनाइन (दाँत) घिस जाने से उसे शिकार करने में कठिनाई होने लगी थी। कम उम्र के नर बाघों के साथ वर्चस्व की लड़ाई से बचने के लिये इसने पिछले दो साल से खुद को कोर से बफर एवं सामान्य वन मंडल क्षेत्र में शिफ्ट कर लिया था। ग्रामीण इलाकों की ओर विचरण भी शुरू किया था। मवेशियों के साथ इसने एक युवती का भी शिकार किया। इसलिये मुन्ना को अक्टूबर माह में कान्हा से भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में शिफ्ट किया गया है। इससे मुन्ना की सुरक्षा के साथ ग्रामवासियों की भी सुरक्षा सुनिश्चित हुई है।
मुन्ना का जन्म वर्ष 2002 में हुआ था। पार्क में इसका नाम टी-17 था, जिसे पर्यटकों और गाईड ने प्यार से ‘मुन्ना” कर दिया था। बलवान मुन्ना जंगल में बड़ी आसानी से शिकार करता था। इसको कभी किसी ने घायल नहीं देखा। पर्यटकों के बीच यह अपने अच्छे स्वभाव के लिये भी जाना जाता था। कान्हा से भोपाल के सफर के दौरान मुन्ना शांत रहा और वन विहार में भी शांत भाव से रह रहा है।
कान्हा के क्षेत्र संचालक श्री एल. कृष्णमूर्ति के मुताबिक कोई सन्देह नहीं है कि मुन्ना ने कान्हा में एक वास्तविक राजा की तरह राज किया। वह वन्य-प्राणी संरक्षण का प्राकृतिक राजदूत है, जिसने बाघ बचाओ मुहिम के लिये बहुत बड़ी संख्या में लोगों को प्रेरित किया। आज कान्हा का हर व्यक्ति उसे बहुत मिस कर रहा है।