भोपाल । मध्यप्रदेश के राज्यपाल श्री लाल जी टंडन ने एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली के ट्रायल वर्जन का डिजिटल शुभारम्भ राजभवन में आज किया। सिस्टम मार्गदर्शिका (मेन्यूअल) का भी विमोचन किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा श्री अनुपम राजन, राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री मुकेश शुक्ला उपस्थित थे। कार्यक्रम में समस्त शासकीय विश्वविद्यालयों के कुलपति ऑन लाइन जुड़े हुये थे।
राज्यपाल श्री टंडन ने लॉक डाऊन के दौरान देश में अनूठे पोर्टल के निर्माण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि जब सब लोग एकांतिक जीवन व्यतीत कर रहे थे तब प्रदेश के विश्वविद्यालय नये रुप में क्रियाशील थे। यह अत्यन्त सराहनीय है। उन्होंने सॉफ्टवेयर को विश्वविद्यालयों की आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब एक नये दौर की ओर बढ़ना होगा। प्रधानमंत्री द्वारा समाज के सभी वर्गों के लिए विशाल आर्थिक पैकेज दिया गया है। उसे संबंधित तक पहुँचाने में विश्वविद्यालय अपनी भूमिका का निर्धारण करें।
राज्यपाल के सचिव श्री मनोहर दुबे ने बताया कि अभी तक विश्वविद्यालयों की डिजिटल गतिविधियाँ निजी क्षेत्र के द्वारा प्रवेश परीक्षा फार्म और मार्कशीट वितरण के रुप में की जाती थी। एकीकृत प्रबंधन प्रणाली में विश्वविद्यालय की नामांकन, परीक्षा, मूल्याँकन आदि सभी गतिविधियाँ डिजिटल मोड में होंगी। विश्वविद्यालयों की लगभग सभी गतिविधियाँ ऑन लाइन होने से कार्य त्वरित और समय-सीमा में पूरे होंगे। उनका आर्थिक और प्रशासनिक भार भी कम होगा।
कुलपति आर.जी.पी.वी. श्री सुनील कुमार ने बताया कि एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली एक केन्द्रीय सूचना प्रणाली है जिसे राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों को डिजिटल प्लेटफार्म में एकीकृत करने के लिए विकसित किया गया है। इस एकीकृत प्रबंधन प्रणाली के विकसित होने से विश्वविद्यालय तकनीकी कौशल, आर्थिक समृद्धि और आत्म निर्भरता की दिशा में अग्रसर होंगे।
उन्होंने कहा कि प्रबंधन प्रणाली से प्रदेश के 21 शासकीय विश्वविद्यालयों के लगभग 24 लाख विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। विद्यार्थियों को इलेक्ट्रानिक फार्मेट में डिजिटल हस्ताक्षरित डिग्री और मार्कशीट प्राप्त होगी। मार्कशीट और डिग्री अब पेपर पर नहीं दी जायेगी। छात्रों को ऑनलाइन पाठ्यक्रम, परीक्षा और परिणाम प्राप्त होंगे। प्रदेश के समस्त पुस्तकालयों की सुविधा ऑनलाइन प्राप्त होगी। छात्रों को प्लेसमेंट संबंधी जानकारी सुलभ होगी। आवासीय और भोजन व्यवस्था और शुल्क संबंधी जानकारी के साथ-साथ फीस आदि भी ऑनलाइन जमा की जा सकेगी। ऑनलाइन पाठ्यक्रम सुलभ होगा तथा इस पेपरलेस व्यवस्था से आर्थिक बचत के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी होगा। अभी तक विश्वविद्यालयों की डिजिटल गतिविधियों का संचालन प्राइवेट एजेंसी द्वारा किया जाता था। उन्हें शुल्क के रुप में प्रतिवर्ष 25 करोड़ रूपये मिलते थे। इन्टीग्रेटेड मैनेजमेंट सिस्टम के लागू होने से प्रतिवर्ष एजेंसी को मिलने वाली अनुमानत: 25 करोड़ रूपये शुल्क राशि अब विश्वविद्यालयों को प्राप्त होगी।
कुलपति आर.जी.पी.वी. के अनुसार यह एकीकृत विश्वविद्यालय प्रबंधन प्रणाली छात्रों के लिये तो उपयोगी और मार्गदर्शी है। इससे विश्वविद्यालय में कार्यरत प्राध्यापकों और कर्मचारियों को भी बहुत फायदा होगा। इस तकनीक के उपयोग से मानवीकृत कार्य प्रणाली का भार कम होगा। सभी विश्वविद्यालयों की समस्त जानकारियाँ एकजाई होंगी। सभी के वेतन, छुट्टी उपस्थिति, अनुपस्थिति और व्यक्तिगत जानकारी विषय विशेषज्ञता एवं उपलब्धियाँ एक ही प्लेटफार्म पर सुलभ होगी। पेपरलेस व्यवस्था से विश्वविद्यालय का कार्यभार एवं आर्थिक व्यय भार कम होगा। अभी विश्वविद्यालय लगभग 30 करोड़ रूपये प्रतिवर्ष प्रशासकीय एवं अन्य कार्यों पर व्यय करते हैं। पोर्टल की व्यवस्थाओं से इसमें भी 20 प्रतिशत की बचत अनुमानित है।
श्री सुनील कुमार ने बताया कि इस पोर्टल से शैक्षणिक गुणवत्ता निर्धारण में सहायता मिलेगी। कॉलेजों की शैक्षणिक उपलब्धि और गुणवत्ता के संबंध में नीति बनाने और विश्वविद्यालय की नियंत्रक भूमिका बहुत अधिक प्रभावी होगी।