यशवंत सिन्हा का केंद्र सरकार पर वार, बोले- आर्थिक सुस्ती से ध्यान भटकाने की साजिश है सीएए
नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा ‘असंवैधानिक एवं अनावश्यक’ नया नागरिकता कानून लाना आर्थिक सुस्ती को रोकने में अपनी नाकामी से लोगों का ध्यान भटकाने की साजिश है। अपनी ‘गांधी शांति यात्रा’ के दौरान रविवार को यशवंत सिन्हा ने पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन को उद्धृत करते हुए कहा कि ‘भारत अपनी अर्थव्यवस्था के आईसीयू में जाने के साथ महासुस्ती का सामना कर रहा है।’
उन्होंने कहा, “समाज के सभी तबके का सरकार के कामकाज से मोहभंग हो गया है। सरकार में मौजूद लोग ध्यान भटकाने के बड़े विशेषज्ञ हैं।” भाजपा के पूर्व नेता ने कहा, “इसलिए, इस असंवैधानिक, अनावश्यक कानून का उद्देश्य युवाओं, किसानों महिलाओं का ध्यान भटकाना है ताकि वे इसके (सीएए के) विरोध में शामिल हो सकें और अपनी रोजाना की समस्याओं के बारे में नहीं सोंचे।”
विपक्षी दल संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को गैर मुस्लिम कानून बता रहे हैं, हालांकि इस आरोप को सरकार ने खारिज कर दिया है। सिन्हा ने कहा, “यह कानून लाया गया क्योंकि देश में इस वक्त आर्थिक स्थिति बड़े खतरे में है।”
अपनी 3,000 किमी यात्रा के तहत सूरत में मौजूद सिन्हा ने सीएए रद्द करने, जेएनयू छात्रों पर हमले जैसे सरकार प्रायोजित हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए न्यायिक जांच समिति/आयोग गठित करने तथा राष्ट्रव्यापी एनआरसी नहीं करने के बारे में सरकार से संसद में आश्वासन मांगने सहित विभिन्न मांगों को लेकर यह यात्रा नौ जनवरी को मुंबई से शुरू की थी।
यशवंत सिन्हा ने सीएए के तहत धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान करने का आरोप लगाते हुए कहा, “धार्मिक उत्पीड़न का सबूत कहां है? क्या भारत को पड़ोसी देशों से इसका सबूत मिलेगा।” उन्होंने कहा कि कोई बच्चा यह कैसे साबित करेगा कि पड़ोसी देश से यहां प्रवास कर चुके उसके माता-पिता या दादा-दादी का निधन हो चुका है? यह कानून असंवैधानिक है और यह धर्म पर आधारित तथा अव्यवहारिक है।