मूडीज ने एक महीने में दूसरी बार घटाया भारत का वृद्धि अनुमान
नई दिल्ली : मूडीज इनवेस्टर्स सर्विस ने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.6 प्रतिशत कर दिया है। उसने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार के उपाय उपभोग मांग में व्यापक कमी को दूर नहीं कर पा रहे।
क्रेडिट रेटिंग और शोध सेवा देने वाली कंपनी ने कहा कि हमने भारत के लिये आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटा दिया है। हमारा अनुमान है कि 2019-20 में यह 5.6 प्रतिशत रहेगी जो 2018-19 में 7.4 प्रतिशत थी। उसने कहा कि भारत में नरमी पूर्वानुमान के विपरीत ज्यादा लंबी अवधि तक खिंच गयी है। इसके चलते उसे अपना अनुमान कम करना पड़ा है। इससे पहले, मूडीज ने 10 अक्टूबर को 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 6.2 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया था। पिछले सप्ताह ही रेटिंग एजेंसी ने भारत के परिदृश्य को स्थिर से नकारात्मक कर दिया है।
मूडीज ने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक (वैश्विक वृहत आर्थिक परिदृश्य) 2020-21 में कहा कि भारत में आर्थिक गतिविधियां आने वाले वर्षों में बढ़ेंगी। देश की आर्थिक वृद्धि दर 2020-21 और 2021-22 में क्रमश: 6.6 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। लेकिन वृद्धि की गति पूर्व वर्षों के मुकाबले धीमी ही रहेगी। उसने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018 के मध्य से धीमी पड़ रही है।
मूडीज के अनुसार कि निवेश गतिविधियां पहले से धीमी है लेकिन खपत के लिये मांग के कारण अर्थव्यवस्था में तेजी बनी हुई थी। हालांकि अब खपत मांग भी नरम हुई है जिससे मौजूदा नरमी को लेकर समस्या बढ़ रही है। मोदी सरकार ने आर्थिक वृद्धि को थामने के लिये कई उपाय किये हैं। सितंबर महीने में कंपनी कर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया।
साथ ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये नई विनिर्माण कंपनियों के लिये कर की दर घटाकर 15 प्रतिशत कर दी है। सरकार की अन्य पहल में बैंकों में पूंजी डालना, सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का चार में विलय, वाहन क्षेत्र के लिये उपाय, बुनियादी ढांचा के लिये योजनाएं तथा स्टार्टअप के लिये कदम उठाना शामिल हैं। मूडीज ने कहा कि हालांकि इन उपायों से खपत मांग में चौतरफा कमी को दूर करने में मदद नहीं मिली है।