मुख्यमंत्री श्री चौहान ने किया दो कोयला खदानों का बटन दबाकर शुभारंभ
भोपाल । मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में धनकसा और शारदा भूमिगत कोयला खदानों का मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने ऑनलाइन शुभारंभ किया। एक वीडियो कांफ्रेंसिंग समारोह में दो केन्द्रीय मंत्री,सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी और केन्द्रीय कोयला मंत्री श्री प्रहलाद जोशी भी उपस्थित हुए।
मध्यप्रदेश में एक हजार से ज्यादा लोग को छिंदवाड़ा जिले की इन दो भूमिगत कोयला खदानों से रोजगार मिलेगा। अगले चार साल में कोल इंडिया बीस खदानें शुरू करेगा, इनमें 6 मध्यप्रदेश में होंगी। आज शुरू हुईं दोनों खदानों के लिए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने पूर्व के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में प्रयास किए थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के बटन दबाने के बाद तत्काल ही औपचारिक रूप से खनन प्रारंभ किया गया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, महाराष्ट्र के मख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे, केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी और कोयला मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने रिमोट से बटन दबाकर शुभारंभ किया। कुल तीन खदानें शुरू हुई हैं। इनमें शारदा और धनकसा खदानें मध्यप्रदेश और आदासा खदान महाराष्ट्र में हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री का आभार माना
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री मोदी, केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी, श्री प्रहलाद जोशी और कोल इंडिया का आभार माना। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को विशेष रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में इन दो कोयला खदानों के खुल जाने से प्रगति का नया अध्याय प्रारंभ होगा। ये दोनों भूमिगत खदानें शुरू हों, इसके लिए पिछले कार्यकाल से प्रयास किए जा रहे थे। धनकासा भूमिगत खदान से 458 करोड़ और शारदा भूमिगत खदान से 57 करोड़ के केपिटल इन्वेस्टमेंट की योजना है। दोनों खदानें 1.4 लाख टन सालाना कोयला उत्पादन करेंगी।
खनिज सम्पदा में आगे मध्यप्रदेश
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश कोयला उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। प्रदेश में सालाना 239 मीलियन टन कोयले का उत्पादन होता है। जिससे प्रदेश को 2 हजार करोड़ रूपये का राजस्व प्राप्त होता है। प्रदेश के 6 जिलों छिंदवाड़ा, बैतूल, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया और सिंगरौली में कोल इंडिया लिमिटेड कोयला खनन का कार्य करता है। प्रदेश में वेस्टर्न कोलफील्ड की 56 खदानों में से 23 भूमिगत और 23 ओपन हैं। इनमें कुल 16 खदानें मध्यप्रदेश में संचालित हैं जो मुख्यत: छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों में हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश खनिज प्रधान राज्य है जहाँ हीरा, कोयला, मिथेन गैस, कॉपर, लाईमस्टोन के भंडार है। जहाँ हीरा उत्पादन में मध्यप्रदेश सबसे प्रमुख राज्य है, वहीं मैग्जीन और कॉपर उत्पादन में दूसरे और कोयला उत्पादन में देश में चौथे स्थान पर है। राज्य के मुख्य खनिजों के उत्पादन बढ़ाने के भरसक उपाय किये जा रहे हैं।
एक हजार को मिलेगा रोजगार
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने आज छिंदवाड़ा जिले की जिन दो भूमिगत खनिज परियोजनाओं धनकासा और शारदा खदान का शुभारंभ ऑनलाइन बटन दबाकर किया, उनसे 1.4 लाख टन कोयले का वार्षिक उत्पादन के साथ ही करीब एक हजार लोगों को रोजगार भी मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कोविड-19 के संकट के दौर में देश को लॉकडाउन और अन्य व्यवस्थाओं के माध्यम से लोगों को बचाने के बाद मंत्र दिया कि जान भी है और जहान भी है। इसका अर्थ है जीवन के साथ आर्थिक गतिविधियों को प्रारंभ करना ही होगा। जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्रीय कोयला मंत्री श्री प्रहलाद जोशी द्वारा मुख्यमंत्री सहायता कोष में दी गई 20 करोड़ की राशि के लिये वे उनके आभारी हैं।
श्री गडकरी के सुझावों पर होगा कार्य
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संबोधन में यह भी कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार मध्यप्रदेश में कोल बैड मिथेन और यूरिया उत्पादन की संभावनाओं को साकार करने के लिए कार्य किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने भी लोकल को वोकल करने की दिशा में मार्गदर्शन दिया है, उसके अनुरूप कदम उठाये जायेंगे। वर्तमान में जो कोयला खदानें संचालित हैं उनकी दूरी ऊर्जा संयंत्रों से अधिक है। आज प्रारंभ खदानों से कोयला उत्पादन के परिवहन के व्यय को कम कर सारणी संयंत्र तक पहुंचाने की संभावना को साकार किया जा सकेगा। इससे अनेक व्यय कम होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सुगमता से ऊर्जा प्राप्ति के इस निर्णय के साथ ही दोनों खदानों से छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों की जनता को रोजगार मिलेगा। मध्यप्रदेश की तरफ से कोल इंडिया को पूरा सहयोग प्राप्त होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत के साथ आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए ये दोनों खदानें उपयोगी सिद्ध होंगी। अगले चार वर्ष में शुरू होने वाली 6 खदान में से 4 खदानें वर्तमान वित्त वर्ष में ही प्रारंभ होंगी। इन 6 परियोजनाओं में वेस्टर्न कोलफील्ड 1300 करोड़ का निवेश कर रहा है। आने वाले वर्षों में भी इन दोनों परियोजनाओं से प्रदेश को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी के सुझाव के अनुसार कोल वेस्ट से रेत निकालने और बाँध में जल स्तर वृद्धि की दशा में भी कार्य किया जायेगा।
चंबल एक्सप्रेस वे है दरअसल चंबल प्रोग्रेस वे
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने श्री गडकरी को चंबल एक्सप्रेस-वे की सौगात देने के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश के विंध्य से लेकर राजस्थान की सीमा तक 309 किलोमीटर का मार्ग चंबल एक्सप्रेस-वे के अंतर्गत शामिल कर फोरलेन किया जा रहा है। किसी समय चंबल क्षेत्र में डकैत समस्या थी। यहाँ बीहड़ क्षेत्र लाखों हेक्टेयर में है। चंबल एक्सप्रेस-वे चंबल प्रोगेस-वे बनकर इस क्षेत्र की प्रगति को नई ऊँचाईयां देगा।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी महाराष्ट्र के विकास के लिये चिंतित रहते हैं। नई कोयला खदान आदासा की शुरूआत और रेल लाईनों के ब्राडगैज में बदलने के कदम विदर्भ क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि गत 6 वर्ष में देश में कोयला उत्पादन में वृद्धि हुई है। कोल माइनिंग में खदान से रेलवे साइडिंग तक अधोसंरचना विकास के लिए 50 हजार करोड़ के पूँजी निवेश का प्रस्ताव स्वीकृत हुआ है।
श्री गडकरी ने बताया कि विदर्भ अंचल में ये प्रयास निरंतर चल रहे हैं।विभिन्न योजनाओं से कुल 2600 करोड़ रूपये किसानों को प्राप्त हुये हैं। कुल 5200 भूमिधारक लाभान्वित हुए हैं। श्री गडकरी ने बताया कि महाराष्ट्र के ऊर्जा संयंत्रों में नई कोयला खदान आदासा से प्राप्त कोयले का उपयोग होगा। संयंत्रों की क्षमता बढ़ेगी। श्री गडकरी ने आशा व्यक्त की कि बल्लारशाह और चंद्रपुर में कोल गैसीफिक्शेन के उपयोग से यूरिया निर्माण और अन्य तरह के ईधन तैयार हो सकते हैं। इससे पर्यावरण रक्षा का कार्य भी आसान होगा और विदर्भ क्षेत्र के पिछड़ेपन को दूर किया जा सकेगा।
केन्द्रीय कोयला एवं खनन मंत्री श्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चौहान और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री ठाकरे के मुख्य आतिथ्य में आज दो कोयला खदानों का ऑनलाइन शुभारंभ कोविड-19 के समय एक महत्वपूर्ण कदम है। देश में विद्युत उत्पादन के बिना प्रगति नहीं हो सकती और इसके लिए कोयले की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। देश में करीब तीन चौथाई बिजली ताप विद्युत संयंत्रों से प्राप्त होती है, जिनके लिए कोयला अनिवार्य है। श्री जोशी ने आश्वस्त किया कि पर्यावरण के मुद्दे पर ध्यान देते हुए आत्मनिर्भर भारत के लिए कोयला उत्पादन क्षेत्र में निवेश के प्रयास बढ़ाए जाएंगे। निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहन देने के लिए नवीन नीति प्रस्तावित है। जिसकी घोषणा इसी माह संभावित है। श्री जोशी ने उम्मीद व्यक्त की कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र नई कोयला खदानों से संबंधित जिलों में लोगों को रोजगार दे सकेंगे।