मुख्यमंत्री श्री चौहान के नवाचारी वित्तीय सुशासन ने बढ़ा दी मध्यप्रदेश की रैंकिंग
भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सूझ-बूझ, नवाचारी वित्तीय सुशासन और अनुशासन अपनाने से कोविड-19 के बाद आर्थिक चुनौतियों से जूझता मध्यप्रदेश अब अन्य राज्यों से आगे हो गया है। विकास के चार महत्वपूर्ण क्षेत्र – खाद्य, उद्योग, नगरीय प्रशासन और ऊर्जा में तेज गति से आवश्यक सुधार लाने से अब मध्यप्रदेश को 18 हजार 134 करोड़ रूपये के अतिरिक्त वित्तीय संसाधन लेने की सहूलियत मिल गई है।
उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार ने सभी राज्यों के लिये अपनी जीएसडीपी के दो प्रतिशत राशि के बराबर अतिरिक्त बाजार ऋण लेने की अनुमति दी है, इसमें से 1% बिना शर्त अनुमति दी गई है। शेष 1% बाजार ऋण प्राप्त करने के लिये राज्यों को चार क्षेत्रों में सुधार करने है। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जिसने विकास के चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार के कार्य कर 1% अतिरिक्त वित्तीय संसाधन लेने की सहूलियत प्राप्त की है।
मुख्यमंत्री ने कोरोना काल में लगातार कोशिशें कर सुशासन और वित्तीय अनुशासन का पालन करते हुए मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के लिये खाद्य, उद्योग, नगरीय प्रशासन और ऊर्जा क्षेत्रों में लोगों को राहत देने वाले सुधार किये। देश में मध्यप्रदेश पहला राज्य हैं जिसने इन चारों क्षेत्रों में केन्द्र सरकार की अपेक्षा के अनुसार सुधार किये हैं। इसके फलस्वरूप अब मध्यप्रदेश तेज गति से विकास योजनाओं को पूरा करने के लिये अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने की पात्रता का लाभ ले सकता है।
यह भी उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने पूंजीगत कार्यों के लिये सभी राज्यों के लिये 2000 करोड़ रूपये की अतिरिक्त सहायता देने का प्रावधान किया है। इसका लाभ उन राज्यों को मिलेगा जिन्होंने इन चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार लागू कर दिये हैं। अब मध्यप्रदेश इस प्रावधान का आसानी से लाभ उठा सकता है।
खाद्य क्षेत्र में प्रदेश में वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना में सभी उचित मूल्य की दुकानों का आटोमेशन करने और 95 प्रतिशत दुकानों का डाटाबेस तैयार कर इसे आधार कार्ड के साथ जोड़ने की महत्वपूर्ण पहल हुई है। लाखों हितग्राहियों को इसका लाभ मिला है, जो पहले इससे वंचित रह गये थे। प्रदेश के इस सुधार की पूरे देश में व्यापक सराहना हुई है।
प्रदेश में व्यापार को बढावा देने में व्यापार करने की औपचारिकताओं और प्रक्रियाओं को ज्यादा से ज्यादा सरल बनाने के लिये जो 213 सिफारिशें की गई थी उन्हें उदयोग विभाग ने लागू किया। इसके साथ ही नवीनीकरण की व्यवस्था में जबर्दस्त सुधार हुआ और केन्द्रीकृत निरीक्षण प्रणाली की शुरूआत हुई।
नगरीय प्रशासन में भी फ्लोर रेट पर कर का निर्धारण कर अनूठी पहल की गई है। जिन शहरों में अमृत परियोजना लागू है वहाँ जल प्रदाय, ड्रेनेज और सीवेज संबंधी पूरी व्यवस्थाओं में सुधार किया गया है। इनकी दरों का निर्धारण हुआ है। ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक सुधर करते हुए उपभोक्ताओं के बैंक खातों में बिजली की सब्सिडी जा रही है। ट्रांसमिशन की हानि को कम करने और बिजली प्रदाय की औसत लागत के अंतर को कम किया गया है। इन सुधारों के कारण मध्यप्रदेश को अपनी अर्थ-व्यवस्था को सुधारने में मदद मिली है।