मीडिया में सबकुछ ठीक नहीं, आत्मसुधार के उपायों की जरूरत : प्रणब मुखर्जी
नयी दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘मीडिया में सबकुछ ठीक’ नहीं होने पर जोर देते हुए बुधवार को पेड न्यूज एवं अन्य अनियमितताओं के मामले में आत्मसुधारात्मक कदम उठाने की जरूरत बताई। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित वार्षिक ‘राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान’ में मुखर्जी ने कहा कि ऐसे समय में जबकि विचारों और खबरों के बीच, मत और निष्पक्षता के बीच अंतर धुंधला हो रहा है, मीडिया संस्थान समाज पर निगरानी रखने की अपनी बुनियादी भूमिका से समझौता नहीं कर सकते। उन्हें केवल आलोचना करने के लिए आलोचना नहीं करनी चाहिए और सरकार का ‘मुखपत्र’ भी नहीं बनना चाहिए।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी मीडिया की है कि निष्पक्ष रूप से विचारों पर बहस हो तथा बिना डर या पूर्वाग्रह के विचार गढ़े जाएं । उन्होंने कहा, ‘‘अखबारों, पत्रिकाओं और मीडिया संस्थानों के संगठन होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है कि ऐसी पथभ्रष्टताओं को समाप्त करें जो मीडिया के कामकाज पर हावी हो सकती हैं।’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘निराशाजनक है कि इन दिनों कुछ प्रकाशन राजस्व अर्जित करने के लिए ‘पेड न्यूज’ और अन्य ऐसे तरीके अपना रहे हैं। इस तरह की अनियमितताओं को रोकने के लिए आत्मसुधार प्रणाली अपनाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आज देश के सामने मुश्किल चुनौतियां हैं जो वैकल्पिक सोशल मीडिया के प्रभुत्व वाले विमर्श में ‘ब्रेकिंग न्यूज’ तथा तत्काल खबरें देने के दबाव से परे हैं।’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘मैं भारतीय नागरिक के तौर पर अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करुंगा, अगर मैं इस बात की ओर संकेत नहीं करता कि मीडिया उद्योग में सब कुछ ठीक नहीं है। एक समूह या दूसरे के लिए पक्षपात वाले एजेंडे के तहत चुनिंदा, एकपक्षीय, संदर्भ से परे या बाह्य कारकों से प्रेरित रिपोर्टिंग और प्रसारण, पत्रकारिता का स्वभाव और चरित्र ना हो सकता है और ना ही होना चाहिए। किसी की निजी आस्था या वैचारिक स्थिति जो भी हो, लेकिन पत्रकार नौकरशाह की तरह खबरों में अपने पूर्वाग्रहों को प्रकट नहीं होने दे सकता।’’