मध्यप्रदेश में जनजातीय विरासत, संस्कृति, कला, इतिहास, जीवन-शैली, रीति-रिवाजों के संरक्षण एवं संवर्धन तथा प्रमुख जनजातीय नायकों टंट्या भील, भीमा नायक, खज्या नायक, संग्राम सिंह, शंकर शाह, रघुनाथ शाह, रानी दुर्गावती, बादल भोई, राजा भभूत सिंह, रघुनाथ मंडलोई भिलाला,राजा ढिल्लन शाह गोंड, राजा गंगाधर गोंड, सरदार विष्णु सिंह उईके आदि के जीवन चरित्र को आमजन तक पहुँचाने के लिए लिए राज्य सरकार द्वारा निरंतर कार्य किए जा रहे हैं।
राज्य शासन द्वारा जनजाति गौरव दिवस आयोजन, जनजातीय प्रतिभाओं का सम्मान, स्मारक निर्माण, चित्र दीर्घाएँ, जनजातीय संग्रहालय, राम कथा पर आधारित वनवासी लीलाओं का मंचन, शहीद मेलों जैसे कार्य किए जा रहे हैं।
जनजातीय संग्रहालय
मध्यप्रदेश में जनजातीय कला, संस्कृति, जीवन-शैली, मिथकों, मान्यताओं, रीति-रिवाज आदि पर केंद्रित कई संग्रहालय स्थापित किए गए हैं, जहाँ विभिन्न प्रादर्शों, प्राकृतिक उपादानों, दृश्य श्रव्य माध्यम, प्रकाश संयोजन आदि के माध्यम से जनजातीय परंपराओं एवं जीवन शैली को बखूबी दर्शाया गया है। बड़ी संख्या में दर्शक गण इन्हें देखने जाते हैं। इन संग्रहालयों में जनजातीय संग्रहालय भोपाल, बादल भोई राज्य जनजातीय संग्रहालय छिंदवाड़ा,राजा शंकर शाह संग्रहालय जबलपुर, रानी दुर्गावती संग्रहालय जबलपुर, रानी कमलापति महल भोपाल, टंटिया भील संग्रहालय ग्राम बड़ौदा-अहीर ज़िला खंडवा, शहीद भीमा नायक प्रेरणा केंद्र ग्राम धावा बावड़ी जिला बड़वानी आदि प्रमुख हैं। राज्य जनजातीय संग्रहालय भोपाल में प्रदर्शित प्रायः सभी प्रादर्श उत्कृष्ट कला के नमूने होने के साथ ही जनजातीय जीवन के दैनंदिन कार्यों से जुड़ी वस्तुओं को बखूबी प्रदर्शित करते हैं। जनजातियों के वाद्य यंत्र, चित्र, कलाकृतियाँ, मूर्तियाँ उनके अनुष्ठानों एवं धार्मिक आयोजनों को रेखांकित करते हैं। इसमें प्राकृतिक उपादानों का सुंदर प्रयोग किया गया है।
शंकर शाह संग्रहालय, जबलपुर में जनजातीय नायकों से संबंधित कहानियाँ अभिलेखों, शोध कार्यों का प्रस्तुतीकरण वर्चुअल रिअलिटी का उपयोग करते हुए नई तकनीकी से किया गया है। रानी दुर्गावती संग्रहालय, जबलपुर जनजातीय नायिका रानी दुर्गावती के रण कौशल, साहस एवं वीरता की कहानी कहता है। टंट्या भील एवं भीमा नायक संग्रहालय में इन जनजातीय नायकों की प्रतिमा स्थापित है तथा उनके जीवन वृत्त पर आधारित चित्र प्रदर्शनी भी है।
जनजातीय गौरव दिवस
मध्य प्रदेश के जनजातीय नायकों के योगदान को जन-जन तक पहुँचाने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है। राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस 18 सितंबर से भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस 15 नवंबर तक प्रदेश में जनजातियों की संस्कृति, परंपरा, लोक कला, जीवन मूल्य तथा उनके समग्र विकास के लिए अभियान चलाकर कार्य किया जा रहा है।
शहीद मेलों का आयोजन
विभिन्न जनजातीय नायकों के शहीद स्थलों पर शहीद मेलों का आयोजन किया जाता है। वीरांगना रानी अवंती बाई बलिदान दिवस पर 20 मार्च को बालपुर जिला डिंडोरी में, शहीद टंट्या भील की स्मृति में 4 दिसंबर को ग्राम बड़ौदा अहीर खंडवा एवं पातालपानी जिला इंदौर में, भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में 15 नवंबर को ग्राम डगडौआ जिला उमरिया में, रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस पर 24 जून को मंडला में, राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर 18 सितंबर को जबलपुर में तथा विभिन्न जनजातीय शहीदों की स्मृति में 9 अक्टूबर को ग्राम टुरिया जिला सिवनी में शहीद मेलों का आयोजन किया जाता है।
स्मारक, कला केंद्र एवं चित्र दीर्घाएँ
अलीराजपुर जिले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परथी भाई का स्मारक निर्मित किया गया है। देश की पहली जनजाति चित्र दीर्घा लिखंदरा में बनाई गई है। जनजातियों के रहवासी क्षेत्रों में संदर्भ संग्रहालय की स्थापना की योजना भी तैयार की गई है। खजुराहो को अंतरराष्ट्रीय कला केंद्र के रूप में विकसित करते हुए जनजाति एवं लोक कला राज्य संग्रहालय का विस्तार किया जा रहा है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए प्रदेश के 3 जिलों में सांस्कृतिक संग्रहालय की स्थापना की जा रही है।
पुस्तक प्रकाशन, फिल्म निर्माण
जनजातीय संस्कृति, परंपरा एवं कार्यों को प्रचारित करने के लिए विभिन्न पुस्तकों का प्रकाशन भी राज्य सरकार द्वारा कराया जाता है। श्री राम कथा में वर्णित वनवासी चरित्रों पर आधारित वनवासी लीलाएँ तैयार कर इनका मंचन प्रदेश के 89 जनजाति विकास खंड में किए जाने की योजना है।
पुरस्कार एवं सम्मान
मध्यप्रदेश शासन द्वारा शिक्षा और खेल गतिविधियों में उल्लेखनीय योगदान एवं प्रदर्शन के लिए टंट्या भील राज्य स्तरीय सम्मान जनजातीय युवाओं को दिया जाता है। सरकार द्वारा 15 नवंबर को मध्यप्रदेश में जनजाति गौरव दिवस पर प्रत्येक वर्ष जनजाति प्रतिभाओं को सम्मानित किया जाएगा।