स्थापना दिवस पर विशेष
मध्यप्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न योजनाओं के माध्यम से एक नई इबारत लिखी जा रही है। स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, सड़क, रोजगार के साथ स्वच्छता के क्षेत्र में भी विशेष प्रयास लगातार जारी हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र सरकार की योजनाओं सहित राज्य सरकार की विकास एवं हितग्राही मूलक योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू कर ग्राम विकास की अवधारणा को साकार किया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम
कारोना काल में ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने में महात्मा गांधी नरेगा योजना ने बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाई है। कोविड काल में 18 लाख से अधिक नवीन जॉबकार्ड जारी किए गए। कोविड काल में 34 करोड़ से अधिक मानव दिवसों का सृजन हुआ, जो योजना के प्रारंभ से अभी तक का सर्वाधिक है। इस वित्तीय वर्ष में माह सितम्बर तक 76 लाख से अधिक ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जाकर 19 करोड़ से अधिक मानव दिवस का सृजन हुआ है। इस अवधि में करीब सवा 2 लाख सामुदायिक एवं हितग्राही मूलक कार्य पूर्ण किए गए और 12 लाख 80 हजार से अधिक कार्य अभी प्रगतिरत हैं।
मध्यप्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में लगभग 20 लाख अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवारों को साढ़े 8 करोड़ से अधिक मानव दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है। अनुसूचित जनजाति के परिवारों को मनरेगा से रोजगार उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश पूरे देश में अग्रणी स्थान पर है।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन
इस मिशन में प्रदेश के 52 जिलों के 45 हजार 135 ग्रामों में सघन रूप से कार्य किया जा रहा है। अब तक 3 लाख 36 हजार से ज्यादा समूहों का गठन कर लगभग 38 लाख 31 हजार परिवारों को जोड़ा जा चुका है। साथ ही 282 करोड़ रूपये परिक्रामी निधि (रिवाल्विंग फण्ड), 765 करोड़ रूपये सामुदायिक निवेश निधि (सीआईएफ) तथा बैंक ऋण के रूप में 2121 करोड़ रूपये का वितरण किया गया है। कृषि एवं पशुपालन गतिविधियों से 13 लाख 37 हजार परिवारों को तथा गैर कृषि आधारित गतिविधियों से 5 लाख 5 हजार परिवार जुड़े हुए हैं।
मिशन के माध्यम से लगभग 53 हजार ग्रामीण युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण तथा 2 लाख 86 हजार युवाओं को स्व-रोजगार प्रशिक्षण दिलाया गया है। ग्रामीण युवाओं को रोजगार मेलों से भी रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना में भी 2 लाख 4 हजार से ज्यादा ग्रामीणों को स्व-रोजगार शुरू करने के लिए ब्याज रहित ऋण वितरण किया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के दूसरे चरण में एक लाख 12 हजार 613 व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय और 1,990 सामुदायिक स्वच्छता परिसरों का निर्माण किया गया। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में 1,930 ग्रामों में घर-घर कचरा संग्रहण कार्य और 15 हजार 445 सामुदायिक कम्पोस्टिंग के कार्य पूर्ण किए गए। तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत 20 हजार 684 सामुदायिक सोक पिट तथा 83 हजार 512 घरेलू सोक पिट के निर्माण पूर्ण किए गए। गोवर्धन परियोजना में 7 बायो गैस संयंत्र स्थापित किए गए हैं। द्वितीय चरण में 172 गौशालाओं में बायो गैस संयंत्र स्थापना का प्रस्ताव है। इस वर्ष अभी तक 591 ग्रामों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है। वर्तमान में मिशन के विभिन्न घटक की प्रगति में मध्यप्रदेश स्वच्छता में उत्कृष्ट राज्यों में सम्मिलित है।
प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण
योजना में मध्यप्रदेश देश में आवास निर्माण में प्रतिशत के आधार पर बड़े राज्यों में द्वितीय एवं संख्या के आधार पर तृतीय स्थान पर है। अब तक 21 लाख 9 लाख आवास पूर्ण कराये जा चुके हैं। इस वित्तीय वर्ष में लगभग 4 लाख 45 हजार आवास निर्माण का लक्ष्य है।
मध्यान्ह भोजन
प्रदेश की 1 लाख 13 हजार शालाओं के 66 लाख 25 हजार छात्रों को 71 हजार महिला स्व-सहायता समूहों तथा अन्य संस्थाओं के माध्यम से सूखा राशन का वितरण किया जा रहा है। साथ ही भोजन पकाने की राशि के समतुल्य राशि तथा खाद्यान्न भी प्रदाय किया जा रहा है। इस कार्य में लगे रसोइयों को प्रतिमाह प्रति रसोइया 2 हजार रूपये मानदेय उनके खातों में दिया जाता हैं। लक्षित शालाओं में से 94 हजार शालाओं में किचिन शेड का निर्माण किया जा चुका है। एक लाख 6 हजार शासकीय शालाओं में रसोई गैस (LPG) कनेक्शन उपलब्ध कराये गये हैं, जो एक नवाचार है। विगत दो वर्षों में 12 हजार 57 माँ की बगिया का निर्माण पूर्ण हुआ है और 5229 बगिया प्रगति पर हैं। प्रदेश के 75 अति कुपोषित विकासखंड में प्राथमिक शाला के छात्रों के पोषण स्तर में सुधार के लिए गुड़ एवं मूंगफली से बनी हुई चिक्की के वितरण की सराहना केन्द्र सरकार ने भी की है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
इस योजना के क्रियान्वयन में निर्धारित भौतिक लक्ष्यों के विरूद्ध लंबाई के मान से मध्यप्रदेश विगत 3 वर्षों में उच्चतम 7 राज्यों की सूची में सम्मिलित रहा है। साथ ही गुणवत्ता के संदर्भ में विगत 3 वर्षो में प्रथम स्थान पर है।
योजना के प्रथम चरण के प्रांरभ से सितम्बर 2021 तक 72 हजार 874 किमी लंबाई (99.8%) की 18 हजार 884 ग्रामीण सड़कों का कार्य पूर्ण कर 17 हजार 503 बसाहटों (99.8%) को संपर्कता प्रदान की गई। योजना के दूसरे चरण में सितम्बर 2021 तक 4870 किमी लंबाई की 357 ग्रामीण सड़कों का कार्य 3124 करोड़ रूपये की लागत से पूर्ण किया गया है। इसके अतिरिक्त पहले और दूसरे चरण में 765 पुलों का कार्य पूर्ण किया जा चुका है।
योजना के तीसरे चरण में भारत सरकार से प्रदेश को 12 हजार 362 किमी मार्गों का आवंटन प्राप्त हुआ है। वर्ष 2019-20 से आज तक 4 चरण में 11 हजार 390 किमी के 986 मार्गों एवं 340 वृहद पुलों के लिए 7962 करोड़ 44 लाख रूपये की स्वीकृतियाँ प्राप्त हुईं। अभी 986 कि.मी. लंबाई के 93 मार्गों के प्रस्ताव स्वीकृति के लिए भारत सरकार के समक्ष विचाराधीन है। अब तक 2108 करोड़ 57 लाख की लागत से 3992 किमी लंबाई के 75 मार्गों एवं 32 वृहद पुलों का कार्य पूर्ण हो गया है और शेष का कार्य प्रगति पर है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन
वर्ष 2016 से प्रारंभ इस मिशन का प्रदेश के 15 जिलों के 18 संकुलों में क्रियान्वयन किया जा रहा है। संकुलों में मुख्य तौर से जल-प्रदाय, सार्वजनिक परिवहन, विद्यालयों का उन्नयन, स्वास्थ्य, सामाजिक अधोसंरचना, सी.सी रोड एवं डिजिटल साक्षरता-सह-लोक सेवा केंद्र जैसे मिशन के घटकों में 375 करोड़ रुपये के कार्यो की स्वीकृति भारत सरकार से मिली है। इस वित्त वर्ष में रुर्बन संकुलों में कौशल विकास, कृषि प्र-संस्करण, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन जैसे घटकों में 200 करोड़ रूपये के स्वीकृत कार्यों का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है।
पंचायत राज
प्रदेश में ‘’राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान’’ के अंतर्गत वर्ष 2018-19 से पंचायती राज व्यवस्थाओं को सुदृढ़ एवं सशक्त बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिये प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन, ग्राम पंचायतों को अतिरिक्त तकनीकी अमला, पंचायत भवन सपोर्ट, ई-इनेबलमेंट, क्षेत्रों को विशेष सहायता, प्रशिक्षण संस्थानों का संस्थागत विकास, नवाचार एवं आर्थिक विकास मूलक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है।