देशप्रमुख समाचारराज्‍य

मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज में आत्म-निर्भरता का आत्म-विश्वास

 

मध्यप्रदेश के भोपाल में आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में 15 नवम्बर 2021 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में भोपाल में मध्यप्रदेश के जनजातीय समाज के लिए अनेक नयी और अनूठी योजनाओं की बौछार हुई। इन योजनाओं की सौगात और महासम्मेलन में मिले मान-सम्मान से पूरे जनजातीय समाज में आत्म-निर्भरता का आत्म-विश्वास जागा है। साथ ही वे अपने आप को गौरवान्वित महसूस भी कर रहे हैं।

संभवत: यह पहला अवसर था, जब प्रदेश ही नहीं देश में पहली बार लाखों की तादाद में जनजातीय वर्ग के लोग एक साथ राजधानी भोपाल में एकत्र हुए और भरपूर सम्मान भी पाया। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी जनजातीय भाई-बहनों के लिए अभिभावक की भूमिका निभाते हुए उनके आने-जाने, रहने और खाने-पीने की समुचित व्यवस्थाएँ भी की। जनजातीय गौरव दिवस के अगले दिन करीब 700 जनजातीय कलाकारों के साथ मुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री निवास पर स्वल्पाहार कर उन्हें आनंदित कर दिया।

जनजातीय वर्ग के समग्र विकास के एक्शन प्लान पर अमल शुरू

प्रदेश में लगभग डेढ़ करोड़ आबादी वाले जनजातीय वर्ग को समाज की मुख्य-धारा से जोड़ने विकास का जो समग्र एक्शन प्लान बना, उसे अमल में लाने में कोई देरी नहीं की गई। सोमवार को प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा शुरू की गई “राशन आपके ग्राम” योजना का शुभारंभ किया गया। ठीक 24 घंटे बाद ही मुख्यमंत्री श्री चौहान ने योजना में लगने वाले वाहनों को हरी झंडी दिखाकर जनजातीय विकासखण्डों के लिए रवाना कर योजना के क्रियान्वयन की शुरूआत कर दी। अब इस वर्ग को राशन लेने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा और उनके समय की भी बचत होगी।

जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मध्यप्रदेश राज्य सिकेल सेल मिशन का भी शुभारंभ किया। मिशन की गतिविधियाँ भी तत्काल प्रारंभ कर दी गई है। प्रधानमंत्री के हाथों एक महिला हितग्राही को मिशन अंतर्गत जाँच रिपोर्ट कार्ड प्रदान किया गया। इससे जनजातीय वर्ग को सिकल सेल जैसे अनुवांशिक रोग से निजात मिलेगी और उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा।

जनजातीय गौरव दिवस पर मुख्यमंत्री श्री चौहान की घोषणा को अमल में लाते हुए ही अगले दिन संयुक्त/सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से सी.एस.आर/सी.ई.आर. एवं अशासकीय निधियों के उपयोग से वृक्षारोपण की नीति अनुमोदित कर दी गई। यहाँ यह बात साबित होती है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जनजातीय समाज के उद्धार के लिए जो कदम बढ़ाए, उन्हें पूरा करने में वे कतई देरी नहीं होने दे रहे हैं। अब यह भी निर्णय लिया गया है कि पायलेट प्रोजेक्ट के अंतर्गत तेंदूपत्ता बेचने का कार्य ग्राम वन समिति/ग्राम सभा को दिया जायेगा। वनोपज से बाँस-बल्ली और जलाऊ लकड़ी पर वन समिति का ही अधिकार होगा। समिति उसको बेचकर आय कमा सकेगी। कटाई से जो इमारती लकड़ी प्राप्त होगी उसका भी एक अंश समिति को जाएगा। इसी तरह देवारण्य योजना में वनोत्पाद और वन औषधि को बढ़ावा देने के साथ वन उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जायेगा।

शिक्षा के क्षेत्र में जनजातीय वर्ग को सबल बनाने के लिए जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने एकलव्य मॉडल रेसीडेंसियल स्कूलों की सौगात भी प्रदेश को दी। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने जनजातीय वर्ग के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क शिक्षा के साथ जनजाति के बेटे-बेटियों को नीट और जेईई मेंस की परीक्षा की तैयारी कराने की व्यवस्था, स्मार्ट क्लासेज के साथ नीट और जेईई में चयन हो जाने पर राज्य सरकार द्वारा उनकी पूरी फीस भरने का फैसला भी लिया है।

जनजातीय समाज के युवाओं को रोजगार और स्व-रोजगार उपलब्ध कराने के लिए भी अहम पहल की गई है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना का लाभ जनजातीय वर्ग के शिक्षित युवाओं को भी मिलेगा। मंत्रि-परिषद ने आज ही इस योजना को शुरू करने की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने यह भी फैसला किया है कि प्रत्येक जनजाति बहुल गाँव में 4 युवाओं को ग्रामीण इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित किया जायेगा। जनजातीय भाई-बहनों को पुलिस एवं सेना में भर्ती के लिए ट्रेनिंग दिलाई जाएगी। आगामी एक वर्ष में शासकीय विभागों में बैकलॉग के रिक्त पदों की पूर्ति का अभियान चलाया जाएगा। साथ ही स्व-रोजगार के लिए मछली पालन, मुर्गी पालन और बकरी पालन के लिए एकीकृत योजना बनाई जाएगी।

प्रदेश के ऐसे अंचलों, जहाँ जनजातीय महा नायकों की कर्म स्थली रही है, में बड़े शासकीय संस्थानों का नाम जनजातीय महानायकों के नाम पर रखकर उनके गौरव को पुनर्स्थापित किया जा रहा है। इसी क्रम में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति करते हुए स्टेशन के आधुनिकीकरण का लोकार्पण भी किया। राज्य सरकार हाल ही में छिन्दवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय कर चुकी है।

मंगलवार को हुई राज्य मंत्रि-परिषद की बैठक में इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एण्ड कल्चरल हेरिटेज को जबलपुर में राजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के स्मारक एवं संग्रहालय, के निर्माण कार्य के लिये राज्य शासन के प्रचलित शिड्यूल ऑफ रेट एवं उस पर 9 प्रतिशत पर्यवेक्षण शुल्क पर टर्न की बेसिस पर निविदा पद्धति की निर्धारित प्रक्रिया से छूट दी गई है। साथ ही कार्यादेश देने एवं उक्त कार्य में भविष्य में विस्तार आदि एवं संग्रहालय संचालन का कार्य स्थायी वित्त समिति के अनुमोदन के बाद एवं संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर आई.एन.टी.ए.सी.एच से ही कराए जाने की अनुमति देने का निर्णय भी लिया गया है।

राज्य सरकार द्वारा उठाए गए इन नये कदम और पूर्व में भी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में उनके हित में किये गये कार्यों से मध्यप्रदेश का जनजातीय समाज आत्म-गौरव और आत्म-विश्वास के साथ आत्म-निर्भरता के पथ पर अग्रसर हो सकेगा।

Show More

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button