भाजपा की ‘आरक्षण विरोधी’ विचारधारा के खिलाफ कांग्रेस का 16 फरवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
भाजपा की ‘आरक्षण विरोधी’ विचारधारा के खिलाफ कांग्रेस का 16 फरवरी को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस की आरक्षण विरोधी विचारधारा को बेनकाब करने के लिए कांग्रेस पार्टी 16 फरवरी को देशभर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगी। कांग्रेस महासचिव (संगठन) के.सी. वेणुगोपाल ने यह घोषणा सोमवार को की।
कांग्रेस की विरोध प्रदर्शन की यह घोषणा ऐसे समय में सामने आई है, जब इसके पहले सात फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण का दावा करना मौलिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही अदालत ने कहा था कि कोई भी अदालत किसी राज्य सरकार को यह आदेश नहीं दे सकती कि वह एससी/एसटी को आरक्षण दे।
वेणुगोपाल ने पार्टी की सभी राज्य इकाइयों और फ्रंटल संगठनों को जारी एक सर्कुलर में कहा है, “जैसा कि आप जानते हैं कि भाजपा और संघ परिवार की विचारधारा एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को आरक्षण देने के खिलाफ है। भाजपा एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण के प्रावधानों पर विभिन्न बयानों और कार्रवाइयों के जरिए पिछले कई सालों से व्यवस्थित तरीके से हमले कर रही है।”
उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की निंदा करते हुए कहा, “इस एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए भाजपा सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट में असंवैधानिक रुख अपनाया है।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को साझा करते हुए उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार द्वारा अपनाए गए रुख के जवाब में हमारी पार्टी ने तय किया है कि भाजपा को बेनकाब किया जाए और एससी, एसटी और ओबीसी के संवैधानिक अधिकारों के लिए 16 फरवरी को प्रदर्शन किया जाए।’
वेणुगोपाल ने पार्टी नेताओं से कहा है कि वे पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्षों की निगरानी और समन्वय में एससी, एसटी और ओबीसी शाखाओं के संयुक्त बैनर तले धरना या सार्वजनिक सभा या विरोध मार्च आयोजित करें।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा सदन में उठाया। चौधरी ने कहा, ‘एससी और एसटी समुदाय के साथ सदियों से भेदभाव होता रहा, लेकिन आजादी के बाद भारत सरकार ने उन्हें अधिकार दिए। इस सरकार को अब क्या हो गया? यह सरकार आखिर एससी और एसटी के अधिकारों को छीनने की कोशिश क्यों कर रही है?’
लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला था और इससे सरकार का कोई लेना-देना नहीं था।