बदले की आग में जलते एक नागा साधु की कहानी है ‘लाल कप्तान’
नई दिल्ली: सिर पर जटाओं और पूरे शरीर पर भस्म लगाए सैफ अली खान (Saif Ali Khan) को एक अघोरी अवतार में देखने के लिए लोग उनकी मोस्ट अवेटेड फिल्म ‘लाल कप्तान (Laal Kaptan)’ का इंतजार बहुत बेसब्री से कर रहे थे, जो आज (18 नवंबर) खत्म हो गई. जी हां, ‘लाल कप्तान (Laal Kaptan)’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. नवदीप सिंह द्वारा निर्देशित इस फिल्म में सैफ अली खान के अलावा सोनाक्षी सिन्हा, मानव विज, दीपक डोबरियाल और जोया हुसैन भी अहम भूमिकाओं में हैं.
फिल्म की कहानी 1764 के बक्सर के युद्ध के 25 साल बाद 18वीं सदी के आखिरी समय तक की है. फिल्म में सैफ अली खान ‘सरीखा नागा साधु’, मानव विज ‘रहमत खान’, दीपक डोबरियाल ‘खबरी’, सोनाक्षी सिन्हा ‘नूर बाई’ और जोया हुसैन एक मिस्ट्री वुमन के किरदार में हैं. फिल्म कहानी को ठीक उसी समय से बुना गया है, जब अंग्रेज धीरे-धीरे भारत में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटे थे, जब मराठे, रुहेलखंडी और नवाब सारे आपस में लड़ रहे थे. एक तरफ जहां, मार-काट मची हुई थी, वहीं सरीखा नागा साधु जिसे लोग गोसांई कहते थे, वह अपनी एक अलग राह पर चल रहा था.
दरअसल, गोसांई बदले की आग में जल रहा था. उसे रहमत खान से बदला लेना था और वह उसी की खोज में जुटा हुआ था. गोसांई रहमत को जान से मारना चाहता था, क्योंकि फ्लैशबैक से पता चलता है कि रहमत एक बच्चे और उसके पिता को फांसी पर लटका दिया था. यह तो पता चल जाता है कि यह बच्चा और कोई नहीं गोसांई है, लेकिन आपको यह जानने में काफी वक्त लग जाता है कि अगर गोसांई को बचपन में उसके पिता के साथ फांसी पर लटका दिया था, तो फिर यह जिंदा कैसे है. इस रहस्य से पर्दा उठाने में काफी वक्त लग जाता है, जिससे थोड़ी बोरियत महसूस होती है.