भोपाल । मध्यप्रदेश के आदिम-जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा है कि प्राचीन-काल से आदिवासियों का जंगल एवं वन्य-प्राणियों से गहरा लगाव रहा है। आदिवासियों ने प्राचीन-काल से वन क्षेत्रों में निवास करते हुए जल, जंगल, जमीन और वन्य-प्राणियों की रक्षा की है। इस वजह से ही आदिवासी क्षेत्रों में वन एवं वन्य-प्राणियों की भरमार है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में राज्य सरकार ने आदिवासियों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। आदिम-जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह शुक्रवार को डिण्डोरी में वनाधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रही थीं। इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती ज्योतिप्रकाश धुर्वे भी मौजूद थीं।
मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने वन भूमि पर काबिज परिवारों को वनाधिकार हक प्रमाण-पत्र प्रदान कर सभी को चिंतामुक्त करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि दावा प्रकरण के निराकरण में गाँव के दो बुजुर्गों के कथन दर्ज कर साक्ष्य के रूप में लेने का प्रावधान है। बैठक में बताया गया कि जिले में वनाधिकार हक प्रमाण-पत्र के लिये प्रस्तुत दावों की संख्या 4,865 है। सभी प्रकरणों की जाँच कर उनका निराकरण किया गया है।
बैठक में आदिम-जाति कल्याण मंत्री ने विभागीय योजनाओं की गतिविधियों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि आहार अनुदान योजना में कोई भी बैगा परिवार की मुखिया महिला वंचित नहीं होना चाहिये। आदिम-जाति कल्याण मंत्री ने कक्षा-10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा के परिणाम की भी समीक्षा की। उन्होंने जिले में चल रहे विभागीय निर्माण कार्यों की भी समीक्षा की। उन्होंने जिले की प्रमुख फसल कोदो-कुटकी की बेहतर मार्केटिंग तैयार करने के निर्देश भी दिये।