भोपाल । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 10 जुलाई, 2020 को मध्यप्रदेश के रीवा में स्थापित 750 मेगावॉट की सौर परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
इस परियोजना में स्थित सौर पार्क (कुल क्षेत्रफल 1500 हेक्टेयर) के अंदर 250 मेगावॉट की 3 सौर इकाइयाँ स्थित हैं। प्रत्येक इकाई 500 हेक्टेयर भूमि पर स्थापित है। सौर पार्क को मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम मर्यादित तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया की संयुक्त कम्पनी रीवा अल्ट्रा मेगा सोलर लिमिटेड (आरयूएमएसएल) द्वारा विकसित किया गया है। पार्क को विकसित करने के लिये आरयूएमएसएल को केन्द्र से 138 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। पार्क को विकसित करने के उपरांत महेन्द्रा रिन्यूएबल्स प्रायवेट लिमिटेड, एसीएमई जयपुर सोलर पॉवर प्रा.लि. और आरिन्सन क्लीन एनर्जी प्रा.लि. को रिवर्स ऑक्शन द्वारा इस पार्क में 250-250 मेगावॉट की 3 सोलर उत्पादन इकाइयों को विकसित करने के लिये चुना गया। रीवा सोलर प्रोजेक्ट श्रेष्ठ परिणाम का उदाहरण है, जिसे केन्द्र तथा राज्य सरकार के तालमेल से प्राप्त किया जा सकता है।
रीवा सौर परियोजना ग्रिड समता बाधा को तोड़ने वाली देश की पहली सौर परियोजना थी। प्रचलित सौर परियोजना शुल्क लगभग 4 रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट वर्ष 2017 की तुलना में रीवा परियोजना ने ऐतिहासिक परिणाम प्राप्त किये। प्रथम वर्ष रुपये 2.97 प्रति यूनिट दर के साथ 15 वर्ष में 0.05 प्रति यूनिट वृद्धि तथा 25 वर्ष की अवधि में रुपये 3.30 प्रति यूनिट लेवेलाइज्ड दर। यह परियोजना लगभग 15 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड प्रतिवर्ष के बराबर कार्बन उत्सर्जन को कम करेगी।
रीवा परियोजना को भारत और विदेश में बड़े परियोजना संरचना और नवाचारों के लिये स्वीकारा गया है। बिजली डेव्हलपर्स के लिये जोखिम कम करने के लिये भुगतान सुरक्षा तंत्र को एमएनआरई द्वारा एक मॉडल के रूप में दूसरे राज्यों को अनुशंसित किया गया है। इस परियोजना को नवाचार तथा उत्कृष्टता के लिये वर्ल्ड बैंक ग्रुप प्रेसीडेंट अवार्ड द्वारा सम्मानित किया गया एवं इसे प्रधानमंत्री की ‘ए बुक ऑफ इनोवेशन : न्यू बिगनिंग्स” में सम्मिलित किया गया। ये परियोजना प्रथम नवकरणीय ऊर्जा परियोजना है, जो कि प्रदेश के बाहर संस्थागत ग्राहकों जैसे दिल्ली मेट्रो को बिजली प्रदान करेगी। परियोजना से दिल्ली मेट्रो को 24 प्रतिशत बिजली प्राप्त होगी तथा शेष 76 प्रतिशत मध्यप्रदेश की विद्युत वितरण कम्पनियों को मिलेगी।
परियोजना भारत के 175 गीगावॉट संस्थापित क्षमता के लक्ष्य को वर्ष 2022 तक पूर्ण करने की वचनबद्धता को दर्शाता है।