पेसा अधिनियम जनजातीय भाई-बहनों की जिन्दगी बदलने की सामाजिक क्रांति

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री,शिवराज सिंह चौहान ने कहा

मुख्यमंत्री ने पेसा जागरूकता के लिए नियुक्त मास्टर ट्रेनर्स से की वर्चुअल चर्चा

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पेसा अधिनियम जनजातीय भाई-बहनों की जिन्दगी बदलने की सामाजिक क्रान्ति है। जनता की शक्तियाँ जनता तक पहुँचाने, पंचायती राज को और सशक्त बनाने और निर्णय लेने की ताकत गाँव और गरीब के हाथों में देने का है। इसलिए अधिनियम की जानकारी देने के लिए मास्टर ट्रेनर्स के रूप में आपको चुना गया है। पेसा अधिनियम को भली-भांति समझ कर इसके प्रावधान लोगों तक पहुँचाने का कार्य करें, जिससे उनके मन में किसी भी प्रकार का भ्रम न रहे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज निवास कार्यालय से पेसा अधिनियम की जागरूकता के लिए बनाए गए मास्टर ट्रेनर्स से वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा कर रहे थे। अपर मुख्य सचिव श्री अशोक शाह सहित 20 जिलों एवं 89 विकासखंडों के अधिकारी वर्चुअली शामिल थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि पेसा कोई कर्मकांड नहीं एक सामाजिक क्रांति है। अंतर आत्मा से जनजातीय भाई-बहनों को उनके अधिकारों को देने का क्रांतिकारी प्रयास है। इसको मैं जगह-जगह जाकर बारीकी से समझा रहा हूँ। आप भी गंभीरता से पेसा अधिनियम को समझ कर जनता को जागरूक करें। मैं पेसा अधिनियम को जमीन पर लागू करवा कर ही चैन की साँस लूंगा। मुझे विश्वास है कि मास्टर ट्रेनर्स जनता जनार्दन को पेसा अधिनियम के बारे में ठीक से समझाएंगे। जनता को उसके अधिकारों को देना हमारी प्रतिबद्धता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मास्टर ट्रेनर्स पहले स्वयं पेसा अधिनियम को भली-भाँति समझ लें, जिससे अन्य प्रशिक्षकों को आप ठीक से समझा सकें। प्रशिक्षक आम समझाने का कार्य करेंगे। अधिनियम की सरल, क्षेत्रीय और ग्रामीणों की भाषा में जनता को जानकारी दी जाए। यह अधिनियम लोगों के दिल और दिमाग पर उतर जाए, ऐसा प्रयास करें। अधिनियम के संबंध में लोगों के हर तरह के भ्रम दूर करें। प्रारंभ में यह अधिनियम प्रदेश के 89 विकासखंडों में क्रियान्वित किया जा रहा है। आगे चलकर इस अधिनियम को अन्य विकासखंडों में भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि कभी-कभी ऐसे पल आते हैं जब समाज में बड़ा बदलाव करने का अवसर मिलता है। इस अवसर का मास्टर्स ट्रेनर्स भली-भाँति निर्वहन करें। जनता को सशक्त बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ें। जनता भी अपने अधिकारों का प्रयोग कर अपने आपको सशक्त बनाने का प्रयास करे।

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