भोपाल । प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्र की जल व्यवस्था को लेकर राज्य सरकार की कारगर पहल निरंतर जारी है। इसी क्रम में मध्यप्रदेश शासन के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने 1559 रूपये करोड़ लागत की जलप्रदाय योजनाओं की मंजूरी दी है।
अपर मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग श्री मलय श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश के 44 जिलों की ग्रामीण जलप्रदाय योजनाओं से जुड़े 2165 प्रस्ताव विभाग को प्राप्त हुए थे। इनका नियमानुसार परीक्षण कर सक्षम अनुमोदन उपरांत स्वीकृति जारी की गई है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा पहलीबार इतनी बड़ी राशि की जलप्रदाय योजनाओं की एकजाई मंजूरी दी गई है ताकि विभाग का मैदानी अमला यथाशीघ्र जलप्रदाय योजनाओं को पूरा कर ग्रामीण आबादी को नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करे।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश की समूची ग्रामीण आबादी को घरेलू नल कनेक्शन से पेयजल की आपूर्ति किए जाने के लिए राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के अन्तर्गत लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा निरंतर जल -संरचनाओं की स्थापना एवं विस्तार के कार्य किये जा रहे हैं। प्रदेश में अब तक 1500 से अधिक ग्रामों के शत-प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जा चुकी है।
जल जीवन मिशन के अन्तर्गत जल गुणवत्ता प्रभावित ग्रामों, सांसद आदर्श ग्रामों तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य ग्रामों को प्राथमिकता में रखा जाता है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष की समाप्ति (31 मार्च 21) तक ग्रामीण आबादी को कुल 26 लाख 26 हजार नये नल कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा था। इसके अन्तर्गत अबतक 10 लाख नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं। विभाग द्वारा एकजाई 2165 जलप्रदाय योजनाओं की इस मंजूर से आगामी तीन माहों में विभाग की सुनियोजित और समयबद्ध कार्रबाई से शेष लक्ष्य को पूरा किया जायेगा।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा दी गई स्वीकृति में शामिल भोपाल, रायसेन, सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, बैतूल, हरदा, इंदौर, धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खरगोन, बड़वानी, खण्डवा, उज्जैन, नीमच, शाजापुर, रतलाम, आगरमालवा, देवास, मंदसौर, ग्वालियर, अशोकनगर, शिवपुरी, मुरैना, भिण्ड, सागर, पन्ना, छतरपुर, टीकमगढ़, दतिया, गुना, जबलपुर, कटनी, मण्डला, नरसिंहपुर, डिण्डौरी, छिन्दवाड़ा, सिवनी, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली तथा शहडोल जिलों में नवीन जलप्रदाय योजनाओं के साथ ही विभिन्न ग्रामों में पूर्व से र्निमित पेयजल अधोसंरचनाओं को नए सिरे से तैयार कर रेट्रोफिटिंग के अन्तर्गत कार्य किये जायेंगे।