पूर्व रक्षा सचिव आर के माथुर ने लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली
नयी दिल्ली । धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा आज खत्म हो गया है। अब जम्मू-कश्मीर दो केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बंट गया है। पूर्व रक्षा सचिव आर के माथुर ने गुरुवार को केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख के पहले उपराज्यपाल के तौर पर शपथ ली। जम्मू कश्मीर के विभाजन के बाद लद्दाख अलग केंद्र शासित क्षेत्र बना है।
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने लेह के तिसूरू में सिंधु संस्कृति ऑडिटोरियम में एक समारोह में माथुर को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
कार्यक्रम में एक वरिष्ठ अधिकारी ने नियुक्ति वॉरंट पढ़ा, जिसके बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। माथुर त्रिपुरा से 1977 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। उन्होंने बाद में स्थानीय पुलिस के गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया।
उन्होंने आईआईटी से इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर किया है। वह वर्ष 2015 में रक्षा सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उसी वर्ष दिसंबर में उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया गया। पिछले वर्ष 65 वर्ष की आयु होने के साथ ही नवंबर में उनका कार्यकाल भी पूरा हो गया।
शपथ ग्रहण से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले वर्ष दिसंबर माह से अविभाजित जम्मू कश्मीर में लगा राष्ट्रपति शासन हटा दिया था। लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश के रूप में अस्तित्व में आने से एक दिन पहले बुधवार को केंद्र ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी उमंग नरूला को इस हिमालयी क्षेत्र के नव नियुक्त उप राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया।
नरूला 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। इसी के साथ ही, 1995 बैच के आईपीएस अधिकारी एस एस खंडारे को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का ‘‘पुलिस प्रमुख’’ नियुक्त किया गया है। लगभग तीन लाख की आबादी वाले लद्दाख की सीमाएं पाकिस्तान और चीन से लगती हैं। इस लिहाज से यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है।