भोपाल । नगरीय सुविधाओं का विस्तार कर शहर के अंतिम छोर तक और सबसे गरीब वर्ग तक पहुँचाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश में पिछले लगभग एक साल की अवधि में सक्षम नेतृत्व के कारण जहाँ प्रचलित नगरीय विकास योजनाओं को तर्कसंगत बनाया गया है, वहीं एक वर्ष से रुकी या अधूरी पड़ी पेयजल, सीवरेज और मेट्रो जैसी परियोजनाओं को अमली जामा पहनाया गया है।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
नगरीय निकायों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए क्लस्टर आधारित अवधारणा को समाप्त कर विकेन्द्रीकृत कार्य-योजना लागू की गयी है। घर-घर जाकर कचरा संग्रहण करने के लिए 850 वाहन खरीदने की अनुमति देकर 50 करोड़ 76 लाख की राशि आवंटित कर दी गई है।
निकायों में 83 मटेरियल रिकवरी सेंटर के लिए 14 करोड़ से अधिक और नगरपालिक निगमों में ट्रांसफर स्टेशन के लिए 5 करोड़ से अधिक की अतिरिक्त राशि जारी की गयी है। उज्जैन नगर निगम को बायो-मेथेनाइजेशन एवं रिसाइकिल मशीन के लिए 7 करोड़ और नगर निगम इंदौर को स्वच्छ भारत मिशन में 22 करोड़ रूपये की आर्थिक सहायता दी गई है। निकायों को सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण के लिए 12 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया है। मिशन में 4 लाख परिवारों से व्यक्तिगत सम्पर्क कर स्वच्छता का संदेश देने के साथ ही 4 लाख से अधिक कपड़े के झोले वितरित किए गए।
स्मार्ट सिटी योजना
स्मार्ट सिटी योजना में इस अवधि में 630 करोड़ के 29 प्रोजेक्ट पूरे किये जा चुके हैं और 89 के कार्य आदेश जारी कर दिये गये हैं। साथ ही 50 प्रोजेक्ट निविदा प्रक्रिया में हैं। योजना में क्षेत्र आधारित विकास के लिये भूमि-मुद्रीकरण की स्वीकृति दी गई है। इससे प्राप्त आय का आधा स्मार्ट सिटी में ही खर्च किया जायेगा तथा आधा रिजर्व फण्ड में सरकार के पास रहेगा।
अमृत मिशन
अमृत मिशन में डबरा और शिवपुरी की जल-प्रदाय और दमोह की स्टार्म वाटर ड्रेन परियोजना का कार्य शुरू किया गया। हरित क्षेत्र एवं पार्क विकास परियोजना में जबलपुर में 6, ग्वालियर और खरगोन में एक-एक मंदसौर में 2 परियोजना का कार्य स्वीकृत किया गया है। बाइस निकायों में 19 हजार 167 लाख की 35 परियोजनाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है।
मेट्रो रेल
भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल का कार्य शुरू किया जा चुका है। भोज और इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के लिये नई दिल्ली में भारत सरकार मध्यप्रदेश सरकार और मध्यप्रदेश मेट्रो रेल कार्पोरेशन के बीच एम.ओ.यू. हो चुका है। भोपाल के मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 27.87 किलोमीटर में दो कॉरिडोर बनेंगें । एक कॉरिडोर करोंद सर्कल से एम्स तक 14.99 किलोमीटर और दूसरा भदभदा चौराहे से रत्नागिरि चौराहा तक 12.88 किलोमीटर का होगा। लागत रुपये 6941 करोड़ 40 लाख होगी । इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट में 31.55 किलोमीटर की रिंग लाइन बनेगी । यह बंगाली चौराहे से विजयनगर, भंवर शाला, एयरपोर्ट होते हुए पलासिया तक जायेगी। लागत 7500 करोड़ 80 लाख है । इसके साथ ही रैपिड ट्रेन चलाने की भी योजना है।
मध्यप्रदेश अर्बन डेव्हलपमेंट कम्पनी द्वारा नर्मदा सेवा मिशन में विशेष निधि में 8 नगरों की सीवरेज योजना में 10 करोड़ 50 लाख रुपये खर्च हुए हैं। मिनी स्मार्ट सिटी कार्यों में 14 नगरों में 350 करोड़ की लागत के कार्य प्रस्तावित हैं। एडीबी पेयजल एवं मल-जल योजना में 74 पेयजल और 4 मल-जल योजना, विश्व बैंक 4 पेयजल और मल-जल योजना में 7 नगरीय निकायों में, विशेष निधि मल-जल योजना में 8 नगरीय निकायों में और केएफडब्ल्यू मल-जल योजना में 3 नगरीय निकायों में और 12 मिनी स्मार्ट सिटी में कार्य स्वीकृत किये गये हैं। इन सभी कार्यों की लागत 376 करोड़ 61 लाख है।
शहरी पेयजल योजना
शहरी पेयजल योजना में इस अवधि में 980 लाख की योजनाएँ स्वीकृत की गई हैं और 292 करोड़ लागत की 26 जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूरा किया गया है। यूआईडीएसएसएमटी योजना में 21 नगरीय निकायों की 514 करोड़ लागत की जल-प्रदाय योजनाओं का कार्य पूरा किया गया।
शहरी परिवहन
शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण कम करने के लिये मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक वाहन नीति-2019 बनाई गई है, जिसमें सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों पर रियायत दी जायेगी। शहरों में 340 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन का निर्णय लिया गया है। इंदौर-भोपाल में सौ-सौ, जबलपुर-उज्जैन में पचास-पचास और ग्वालियर में चालीस इलेक्ट्रिक बसों का संचालन प्रस्तावित है। इंदौर में 40 बसों का संचालन शुरू हो चुका है। इन्टर सिटी बस सेवाओं को प्रभावी बनाने के लिये 15 नगरीय निकायों में 521 बस का संचालन प्रारंभ हो चुका है। छिंदवाड़ा में पीपीपी मॉडल पर साढ़े 7 करोड़ की लागत से आईएसबीटी स्तर का बस स्टैण्ड निर्माणाधीन है।
मुख्यमंत्री शहरी अधोसंरचना विकास
योजना में 12 नगरीय निकायों को 13 करोड़ से ज्यादा की अनुदान राशि उपलब्ध कराई गई है। सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के लिये 50 करोड़ का बजट प्रावधानित है। नगरपालिक निगम छिंदवाड़ा को सुपर मिनी स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। कॉलोनाइजरों की समस्याओं के निराकरण के लिये मध्यप्रदेश नगरपालिका अधिनियम में संशोधन किये गये हैं। प्रदेश में मॉडल फायर एक्ट बनाया जा रहा है।
जल-संरक्षण एवं संवर्धन
राज्य सरकार द्वारा ‘अक्षय जल संचय” अभियान में सभी 378 नगरीय निकायों को शामिल किया गया है। ग्यारह माह पहले यह अभियान मात्र 29 निकायों में संचालित था। अभियान में अब तक 80 हजार से अधिक रूफवॉटर हॉर्वेस्टिंग, 10 लाख पौधों का रोपण और 500 जल-संरचनाओं की सफाई एवं मरम्मत कराई गई।
एलईडी लाइट
नगरीय निकायों की 11 लाख पारम्परिक लाइटों को एलईडी में बदलने का लक्ष्य है। कार्य की अवधि एक वर्ष और रख-रखाव की अवधि सात वर्ष रखी गई है। इससे विद्युत खपत में 50 प्रतिशत बचत हो सकेगी।
युवा स्वाभिमान योजना
इस योजना में करीब सवा 4 लाख हितग्राहियों का पंजीयन हुआ है। योजना कार्य क्षेत्र के 166 नगरीय निकायों में 38 ट्रेड में करीब 20 हजार हितग्राही प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। पात्र 19 हजार 396 हितग्राहियों को 12 लाख से ज्यादा राशि का स्टाइपेंड वितरित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी)
मुख्यमंत्री आवास मिशन (शहरी) में पट्टा वितरण की कार्यवाही की जा रही है। अभी तक एक लाख 15 हजार 889 आवासीय इकाइयों के निर्माण की स्वीकृति देकर करीब 1765 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। नगरीय क्षेत्रों में लगभग डेढ़ लाख भूमिहीन परिवारों को पट्टा वितरण की कार्यवाही प्रचलित है।
शहरी सुधार कार्यक्रम
सही वित्तीय स्थिति के आकलन के लिये सभी 378 नगरीय निकायों में से 341 में प्रारंभिक बैलेन्स शीट एवं सम्पत्ति और देनदारियों के रजिस्टर तैयार कराये जा चुके हैं। सभी नगरीय निकाय इलेक्ट्रॉनिक रिकार्ड के रख-रखाव की ओर अग्रसर है। सभी निकायों में दोहरी लेखा प्रणाली से बजट तैयार करने से आंतरिक वित्तीय नियंत्रण को सुदृढ़ता के साथ अनुदान निधियों का भी उचित प्रबंधन संभव हुआ है। जीआईएस एवं बहु-उद्देश्यीय सर्वेक्षण कर राजस्व में वास्तविक वृद्धि करते हुए 49 नगरीय निकायों का कार्य पूर्ण किया गया है। सर्वे के बाद डिमांड 61 करोड़ 46 लाख की वृद्धि हुई है, जो कुल वृद्धि का 143 प्रतिशत है। इसी तारतम्य में 119 नगरीय निकायों की भी निविदा प्रकाशित की गई है।
नयी रियल एस्टेट पॉलिसी
प्रदेश में पहली बार सभी के हित में रियल एस्टेट पॉलिसी बनाई गई है। नई पॉलिसी में 2 हेक्टेयर से कम जमीन में भी कॉलोनी बनाने की अनुमति दी गई है। रजिस्ट्रेशन, म्यूटेशन और स्टॉम्प डयूटी सहित अन्य जरूरी कार्यों के लिये सिंगल विण्डो सिस्टम बनाया गया है। शहरों में अगले पाँच वर्ष में लगभग एक लाख 8 हजार 722 करोड़ की लागत के विभिन्न विकास कार्य करवाये जायेंगे। बिल्डरों को प्रोत्साहित करने के लिये मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने प्रदेश में पहली बार कलेक्टर गाइड लाइन के रेट में कमी की है। नजूल की एनओसी तीस दिन में देने का प्रावधान किया गया है।
वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन:नई पॉलिसी में कॉलोनाइजर्स के लिये वन स्टेट-वन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था की गई है जिसका हर पाँच साल में नवीनीकरण करवाना होगा। लैण्ड यूज सर्टिफिकेट ऑनलाईन मिलेंगे। बड़े शहरों के पास सेटेलाईट टाउनशिप विकसित करने के साथ ही शहरों का विस्तार भी किया जायेगा।
बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5 डाक्यूमेंट : नई पॉलिसी में नागरिकों को अब बिल्डिंग परमिशन के लिये 27 के स्थान पर मात्र 5 डाक्यूमेंट लगेंगे। चौबीस मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित कालोनियों में कमर्शियल गतिविधियों के लिये निर्धारित शर्तों पर अनुमति दी जायेगी। मॉर्टगेज प्लॉट को तीन चरण में मुक्त किया जायेगा। कॉलोनियों के चरणबद्ध विकास की अनुमति भी दी जायेगी। ईडब्ल्यूएस बनाने की बाध्यता नहीं होगी। इसके स्थान पर मिलने वाली राशि का उपयोग गरीबों के मकान बनाने के लिये किया जायेगा। अफोर्डेबल हाऊसिंग के लिये अतिरिक्त एफएआर की अनुमति दी जायेगी। इनवेस्टर्स को लैण्ड पूलिंग की सुविधा मिलेगी। रेंटल हाऊसिंग को भी प्रोत्साहित किया जायेगा।
टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग
नगर विकास योजनाओं में शामिल शासकीय भूमियाँ प्राधिकरणों को प्राप्त हो सकें, इसके लिये नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा राजस्व विभाग से समन्वय कर नीति तैयार की जा रही है। लंबे समय से अक्रियान्वित योजनाओं के कारण नगर का विकास अवरुद्ध न हो, इसकी नीति भी निर्धारित की जा रही है।
नगर विकास योजनाओं तथा बेटरमेन्ट लेव्ही के माध्यम से मास्टर प्लान के प्रस्तावित मुख्य मार्गों का निर्माण किया जायेगा। लीज नवीनीकरण तथा उन्नत भूमि उपयोग के लिये शमन शुल्क अधिरोपित कर लीज डीड का नवीनीकरण किया जा रहा है।
म.प्र. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम-1973 में लेण्ड पूलिंग के प्रावधान जोड़ने तथा इसके लिये नियम बनाने के लिये शीघ्र ही अधिनियम एवं नियमों में संशोधन किया जायेगा। सभी प्रकार के पार्किंग स्थलों तथा मशीनीकृत पार्किंग की व्यवस्था करने के लिये म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 में संशोधन किया जा रहा है। अग्निशमन अधिकारी की योग्यता एवं कर्त्तव्यों को भी स्पष्ट किया जा रहा है। नयी विद्युत वाहन नीति के प्रावधानों के अनुरूप म.प्र. भूमि विकास नियम के नियमों में प्रावधानों को जोड़े जाने की कार्यवाही की जा रही है।
भू-खण्डीय विकास के लिये न्यूनतम क्षेत्रफल की सीमा को समाप्त कर निवेशकर्ताओं को प्रोत्साहन दिया गया है। ले-आउट अनुमोदन एवं भवन अनुज्ञा के लिये जरूरी 27 दस्तावेज/एनओसी को कम कर 5 तक सीमित किया गया है। इसमें मुख्यत: ले-आउट के लिये नजूल अनापत्ति प्राप्त करना समाप्त किया गया है।
नगरीय विकास योजनाओं को जीआईएस पर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। नगरों की विकास योजनाएँ तैयार करने के लिये जीआईएस स्टूडियो की स्थापना की गई है। अब प्रदेश की समस्त विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जायेंगी। अब तक 24 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। अमृत योजना में 5 नगरों की विकास योजनाएँ जीआईएस आधार पर तैयार की जा चुकी हैं। एनआर एससी हैदराबाद से 21 नगरों का सेटेलाइट डाटा प्राप्त किया गया है। प्रदेश के 16 नगरों की विकास योजनाओं से संबंधित भूमि उपयोग ऑनलाइन जारी किये जा रहे हैं। चार महानगरों के भूमि उपयोग बिना मानवीय दखल के ऑनलाइन जारी करने संबंधी कार्यवाही जारी है।
म.प्र. मेट्रोपालिटन प्लानिंग एण्ड डेव्हलपमेंट अथारिटी एक्ट का प्रारूप तैयार है। इंदौर विकास योजना 2021 में औद्योगिक भू-खण्डों के लिये भू-तल कवरेज क्षेत्र 30 से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया गया है।
मध्यप्रदेश गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मण्डल
मण्डल की आवासीय योजनाओं के चयन के लिये प्रोजेक्ट अप्रेजल फ्रेमवर्क और रेरा नियमों के परिपालन के लिये रेरा अप्रेजल फ्रेमवर्क का निर्धारण किया गया है। मण्डल की सम्पत्ति विनियम से संबंधित नीतियों, परिपत्रों एवं गाइड लाइन में संशोधन किया गया। निर्माण कार्य में विलंब के लिये मैदानी अधिकारियों के दायित्व का निर्धारण तथा समय पूर्व कार्य करने पर अधिकारियों एवं ठेकेदारों को प्रोत्साहन देने की नीति का प्रारूप तैयार किया गया। मण्डल आवंटियों के एक लाख 35 हजार खातों का कम्प्यूटराइजेशन किया गया है। आवंटियों की ऑनलाइन लीज एवं सम्पत्ति खातों के सत्यापन का विशेष अभियान चलाया गया। सभी वित्तीय लेन-देन ऑनलाइन किये जा रहे हैं।
वचन-पत्र
इसके अलावा नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने पिछले 12 माह में वचन पत्र के बिन्दुओं की पूर्ति के लिए प्रभावी कार्यवाही की है। विभाग ने अनेक वचन पत्रों को एक ही वर्ष में पूरा कर दिया। विभाग द्वारा जिन वचनों की पूर्ति की गई है, उनमें नगरों में सिटी बसों की सेवा नगरीय निकाय के माध्यम से प्रारंभ की जाएगी, की पूर्ति के लिए प्रथम चरण में 17 नगरीय निकाय भोपाल, इन्दौर, ग्वालियर, रतलाम, उज्जैन, देवास, खण्डवा, बुरहानपुर, भिण्ड, मुरैना, गुना, जबलपुर, कटनी, सतना, रीवा, सिंगरौली और छिन्दवाड़ा में सिटी बस संचालन के लिए निविदाएँ बुलाई जा चुकी हैं। कुल 503 बसों का संचालन किया जाएगा। इनमें से 255 बसें इन्ट्रासिटी होगी। महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड एवं आवास आवंटित करेगें तथा मृत्यु उपरान्त इनका हस्तान्तरण बेटी व बहू के नाम से करेंगे संबंधी वचन के पालन में पात्र महिलाओं के नाम से आवासीय भू-खण्ड का पट्टा नियमानुसार आवंटित किया जा रहा है। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना में पात्र महिलाओं को आवास आवंटित करने की कार्यवाही की जा रही है। परिवार के मुखिया की मृत्यु के बाद परिवार को आवंटित आवासीय भू-खण्ड एवं आवास का हस्तान्तरण वैध उत्तराधिकारियों को करने का प्रावधान के पालन के लिये विभाग द्वारा आदेश जारी किया जा चुका है।
सीवेज टेंक एवं नालों की सफाई के लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग एवं तकनीकी सहयोग प्रदान करेंगे संबंधी वचन के पालन में निकायों को मुख्यमंत्री शहरी स्वच्छता मिशन से अनुदान दिया जा रहा है। सीवेज टैंक एवं नालों की सफाई कार्य में लगे सफाई कामगारों की मृत्यु पर उनके परिवार के एक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति देने के लिये शासन के अनुकम्पा नियुक्ति संबंधी परिपत्र को सभी नगरीय निकायों में लागू किया गया है। सफाई संरक्षकों के पदों पर अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों के निराकरण के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। शासकीय कार्यालयों एवं निकायों में दैनिक वेतन या अन्य किसी तरीके से लगे सफाई कामगारों का नियमितीकरण करने के पालन में चतुर्थ श्रेणी के रिक्त सफाई संरक्षक पदों एवं अन्य पदों पर नियुक्ति दिए जाने के निर्देश नगरीय निकायों को जारी हो गए हैं। नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम 1973 में वर्तमान आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में संशोधन करने के पालन में ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ गवर्नमेंट के साथ अनुबंध किया गया है। कार्यवाही की जा रही है।
कांजी हाऊस को व्यवस्थित कर संचालित करने तथा रहवासी क्षेत्रों को आवारा कुत्तों से मुक्त करने की पूर्ति के संबंध में सभी नगरीय निकायों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नगरों में सत्ता के विकेन्द्रीकरण के लिए पूर्व में कांग्रेस सरकार ने जो कदम उठाये थे, उसे पूरा करने के पालन में संबंधित विभागों से प्रत्यायोजित अधिकारों की वर्तमान स्थिति का आंकलन करने के लिए विभागीय स्तर पर बैठक करने को कहा गया है। आवासीय कालोनी के लिए 5 एकड से कम करके एक एकड तक की भूमि पर अनुमति देंगें, के पालन में आवास एवं पर्यावास नीति 2007 की कंडिका 5.4 को विलोपित कर दिया गया है।