देश में नवउद्यमियों के लिए डीआरडीओ के साथ पहला वेबिनार
भोपाल । सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने छोटे उद्योग लगाने के इच्छुक व्यक्तियों का आह्वान किया है कि वे मध्यप्रदेश में उपलब्ध अद्योसंरचना और उद्योग मित्र वातावरण के दृष्टिगत मध्य प्रदेश में उद्योग स्थापित करें। मंत्री श्री सखलेचा डीआरडीओ के साथ हुए वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। सेमिनार में सांसद श्री विनय सहस्त्रबुद्धे, रक्षा मंत्रालय के सचिव डॉ. श्री सतीश रेड्डी, एमएसएमई के सचिव श्री विवेक पोरवाल, डीआरडीओ के वैज्ञानिक और संचालक श्री मयंक द्विवेदी, डीआरडीई के संचालक डॉ. डी.के. दुबे ने सहभागिता कर अपने विचार रखे।
देश में पहला वेबिनार
मंत्री श्री सखलेचा ने वेबीनार के समापन अवसर पर कहा कि मध्य प्रदेश डीआरडीओ के साथ वेबिनार करने वाला देश का पहला राज्य है। उन्होंने चर्चा में शामिल नव उद्यमियों से कहा कि मध्यप्रदेश में अद्योसंरचना अन्य राज्यों से बेहतर है, यहां सस्ती और अच्छी बिजली, मेन पावर, सुगम रेल और सड़क आगमन, संसाधन, पानी सब कुछ है और इससे भी अलग उद्योग मित्र वातावरण हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में औद्योगिक निवेश देश की सेवा का जज्बा भी पैदा करता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान प्रौद्योगिकी और एम.एस.एम.ई के समन्वय से मध्य प्रदेश और देश आत्मनिर्भर बन जाएगा।
नव उद्यमियों के वित्त पोषण के लिए 17 को वेबीनार
एमएसएमई मंत्री श्री सखलेचा ने वेबिनार से जुड़े उद्यमियों की वित्तीय समस्याओं को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि 17 नवम्बर को भारत सरकार के संयुक्त सचिव वित्त और सिडवी के महाप्रबंधक के साथ वेबिनार होगा। उन्होंने उद्यमियों से इस वेबिनार में अनिवार्य रूप से सम्मिलित होने की अपील की। वेबिनार की इस अवधारणा के लिए मंत्री श्री सखलेचा ने विज्ञान भारती के अध्यक्ष श्री जयंत सहस्त्रबुद्धे का धन्यवाद किया।
इससे पहले सांसद श्री विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि हमारे देश की राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विभिन्न टेक्नोलाजी अथवा प्रौद्योगिकी विकसित की गई हैं, लेकिन उद्यमी तक पहुंचाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। डीआरडीओ, सीएसआईआर, बार्क, आईआईटी आदि द्वारा विकसित उपयोगी टेक्नोलाजी के समन्वय और अंतरक्षेत्रीय आदान-प्रदान से देश् को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों में मदद मिलेगी।
डॉ. जी. सतीश रेड्डी, सचिव, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) रक्षा ने कहा कि हमारी प्रयोगशाला ने विज्ञान को उद्योगों से जोड़ते हुए विभिन्न क्षेत्रों में टेक्नोलाजी विकसित की हैं। डॉ. रेड्डी ने बताया कि देश भर में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) की 47 प्रयोगशालाएँ हैं। मध्यप्रदेश के ग्वालियर में डीआरडीई प्रयोगशाला है। विभाग के सचिव श्री विवेक पोरवाल ने कहा कि नव उद्यमियों के लिए यह आयोजन एक सार्थक और अभिनव पहल है।
डॉ. मयंक द्विवेदी, निदेशक, डीआईआईटीएम ने कहा कि हमारी प्रयोगशाला ने एरोनॉटिकल से लेकर लाइफ साइंसेज और मिसाइल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक और कम्युनिकेशन के क्षेत्र में अनुसंधान किया है। वर्तमान में हम टेक्नोलाजी ट्रांसफर करने के दौर में पहुंच चुके हैं। डीआरडीओ ने आईसीयू वेंटीलेटर और न्यूट्रीशन के क्षेत्र में अनुसंधान और तकनीकों का विकास किया है। उन्होंने कहा कि उनकी वेबसाइट पर विकसित सभी 108 आइटम की सूची उपलब्ध है और नव उद्यमी अन्य अनेक जानकारी भी ले सकता है। डॉ. डी.के. दुबे, डॉयरेक्टर, डीआरडीई, ग्वालियर ने अपनी प्रयोगशालाओं द्वारा विकसित तकनीक उद्योगों को प्रदान करने की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। चर्चा में परिषद के महानिदेशक श्री अनिल कोठारी ने भी भाग लिया। नवउद्यमी इस वेबीनार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा एमएसएमई की वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।