भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज राज्य के एम एस एम ई सेक्टर के प्रतिनिधियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा चर्चा कर आर्थिक स्थिति में सुधार के संबंध में उनके सुझाव जाने। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि आज कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि इस संकट का हम साहस से मुकाबला करें। यह ऐसा संकट है जिससे मानव शरीर ही नहीं अर्थव्यवस्था भी बहुत प्रभावित हुई है। आर्थिक दृष्टि से औद्योगिक इकाईयां भी संकट की स्थिति में हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह एक चुनौती भी है और एक अवसर भी ,हम सब मिलकर इस संकट से सभी को बचाएंगे और एक नया प्रदेश गढ़ेंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जो कार्य हो रहा है चाहे कोरोना वायरस के नियंत्रण की बात हो अथवा इन हालात में आर्थिक गतिविधियों को गति देने की पहल, पूरा विश्व श्री मोदी की प्रशंसा कर रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जिद, जुनून और जज्बे से कार्य करते हुए हम पुनः आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार प्रदान करेंगे। मध्यप्रदेश में जहां मनरेगा से लाखों श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है वहीं नए औद्योगिक निवेश के लिए श्रम कानूनों में क्रांतिकारी परिवर्तन किए गए हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने उद्योगपतियों को जानकारी दी कि औद्योगिक विवाद अधिनियम में 100 के स्थान पर 300 श्रमिकों का प्रावधान किया गया है। निरीक्षण की पारदर्शी व्यवस्था, पंजीयन की अनुमति 30 दिन के स्थान पर 1 दिन में प्रदान करने, 16 की जगह 1 प्रपत्र की व्यवस्था, अधिकारों के प्रत्यायोजन के अलावा औद्योगिक इकाइयों को शिफ्ट परिवर्तित करने की सुविधा देने, ऑनलाइन पंजीयन की सुविधा, कारखाना अधिनियम में और अन्य नियमों में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिनसे उद्योग लाभान्वित होंगे और आने वाले 1000 दिन में पुनः अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में सहायक होंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा उद्योगपतियों द्वारा प्राप्त सुझाव अध्ययन के पश्चात अन्य आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे। सभी उद्योग सुचारू रूप से संचालित हों, यह हमारा लक्ष्य है। हम आवश्यक गाइडलाइन का पालन कर कोरोना के संकट और आर्थिक संकट दोनों से निपटने का कार्य करें। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार आपकी समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जिन प्रमुख उद्योग इकाइयों के स्वामियों और प्रबंधन से चर्चा की उनमें सैनिटाइजर निर्माण, कृत्रिम रेत निर्माण, इंजीनियरिंग गुड्स, फूड पैकेजिंग, फार्मास्युटिकल, रेलवे स्लीपर निर्माण, केमिकल इण्डस्ट्री, मिल्क प्रोडेक्ट उद्योग आदि शामिल हैं।
प्रमुख सचिव सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग श्री मनु श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि राज्य में 5 लाख से अधिक पूँजी निवेश वाली औद्योगिक इकाईयों की संख्या 22 हजार से अधिक हैं। लॉकडाउन की अवधि में राज्य की करीब 1100 इकाईयों ने आवश्यक वस्तुओं का निर्माण जारी रखा। इसके फलस्वरूप सैनेटाईजर, खाद्य सामग्री, दवाईयाँ, पैकेजिंग मटेरियल की कमी सामने नहीं आयी। इस वक्त करीब साढ़े तीन हजार अन्य इकाईयां शुरू हो गई हैं, जिनमें 40 हजार से अधिक श्रमिक काम कर रहे हैं। प्रदेश के ग्रीन, रेड और ऑरेंज जोन में उद्योगों के कार्य संचालन की दृष्टि से व्यवस्थाएं की गई हैं। सिर्फ कंटेनमेंट क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियों का संचालन नहीं हो पा रहा है।
उद्योगपतियों के विचार
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श्री आर.एस. गोस्वामी, भोपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान ने संकट और चुनौती के समय को एक अवसर में बदलने की सकारात्मक बात की है। निश्चित ही मध्यप्रदेश में क्रमशः आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। श्री गोस्वामी ने सुझाव दिया एकेवीएन और स्थानीय निकाय द्वारा टैक्स लिया जाता है ।यदि उद्योगों को मेंटेनेंस चार्ज से मुक्ति मिले तो फिलहाल एक बड़ी राहत होगी। आने वाले समय में टैक्स देने की पुरानी व्यवस्था लागू की जा सकती है। श्री गोस्वामी ने भोपाल के गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में आने जाने के लिए पास जारी किए जाने का आग्रह किया। भोपाल के रेड जोन में शामिल होने के कारण वर्तमान में कुछ कठिनाइयां हैं।
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श्री आशीष वैश्य ने कहा कि श्रम क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा किए गए सुधार सराहनीय हैं। मध्य प्रदेश सरकार ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाकर उद्योगों को सुविधा प्रदान की है। उन्होंने स्टांप ड्यूटी से छूट की अपेक्षा की।
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श्रीमती अर्चना भटनागर, जबलपुर ने कहा कि अनेक छोटे उद्यमी ई एम आई जमा कर रहे हैं। उन्हें ब्याज न लगे और सब्सिडी का लाभ मिले इस पर विचार किया जाए। निरंतर प्रोसेस इंडस्ट्रीज की अपनी दिक्कतें हैं, उन पर भी ध्यान दिया जाए।
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श्री राजीव अग्रवाल, मंडीदीप ने कहा कि यहां कुछ मल्टीनेशनल संस्थान भी हैं जिनकी अपनी समस्याएं हैं। विद्युत संबंधी रियायत के साथ ही पर्यावरण कानूनों से संबंधित कुछ संशोधन होना चाहिए। श्री अतीत अग्रवाल, उज्जैन ने कहा की प्लास्टिक क्लस्टर के कामन फैसिलिटी सेंटर के लिए भारत सरकार से अनुदान की आवश्यकता है. नए निवेश करने वालों को श्रम कानूनों के प्रावधानों से रियायत के कदम महत्वपूर्ण हैं।
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सुश्री श्रेया अग्रवाल, इंदौर ने एम.एस.एम.ई. सेक्टर के लिए अधिक सहयोग की अपेक्षा की। उन्होंने श्रमिकों के संबंध में एक नीति की आवश्यकता बताई।
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श्री आदित्य मोदी, मंडीदीप ने कहा कि औद्योगिक संस्थान श्रमिकों का पूरा ध्यान रखेंगे।
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श्री योगेश ताम्रकार, सतना ने कहा कि विद्युत मंडल द्वारा कुछ रियायत बढ़ाई जाना चाहिए। विद्युत खपत में वास्तविक यूनिट को आधार बनाकर देयक दिए जाएं।
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श्री हरिओम जुनेजा, छिंदवाड़ा ने कहा कि नई इकाइयों के साथ पुरानी इकाइयों को भी रियायतें दी जाए।
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श्री हरीश भोजवानी, ग्वालियर ने कहा कि श्रमिकों को कार्यस्थल तक आने के लिए साइकिल की अनुमति प्रदान की जाए।
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श्री एम.के. रे, ग्वालियर ने बैंकों के स्तर पर अधिक सहयोग की उम्मीद व्यक्त की।
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सुश्री स्मिता सिंह, मंडीदीप और श्री वीरेंद्र सिंह ने भी औद्योगिक इकाइयों के लिए वर्तमान आर्थिक संकट के दौर में रियायतों में वृद्धि के सुझाव दिए।