कांग्रेस ने आरसीईपी समझौते को ‘आत्मघाती’ करार दिया, पार्टी करेगी विरोध
नई दिल्ली। कांग्रेस ने ‘आरसीईपी’ समझौते का विरोध करने का शुक्रवार को फैसला किया और कहा कि यह ‘आत्मघाती’ साबित होगा क्योंकि इस समझौते के लिये यह सही वक्त नहीं है तथा यह चीन से आयात को बढ़ावा देगा।
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी(आरसीईपी) समझौते पर अगले महीने बैंकाक में भारत के हस्ताक्षर करने की संभावना है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर कांग्रेस नेताओं के 18 सदस्यीय समूह की एक बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के वरिष्ठ नेता ए के एंटनी, के सी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ देश भर में एक आंदोलन छेड़ेगी और इस मुद्दे पर एक साझा मंच बनाएगी।
इससे पहले, इस मुद्दे पर और अर्थव्यवस्था की स्थिति तथा कृषि क्षेत्र में संकट पर पार्टी के शीर्ष नेताओं ने चर्चा की। पार्टी ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजों पर भी चर्चा की तथा संसद के आगामी सत्र के लिये अपनी रणनीति और सरकार को घेरने के तरीकों पर चर्चा की।
बैठक में नागरिकता संशोधन विधेयक का भी विरोध करने का फैसला किया गया। दरअसल, सरकार यह विधेयक लाने का प्रस्ताव कर सकती है।
एंटनी ने कहा कि आर्थिक मंदी का विषय एक ज्वलंत मुद्दा है, जिसने पूरे देश को और समाज के सभी तबके को चिंतित कर रखा है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘लोगों की चिंताओं को लेकर हमेशा संवेदनशील रही पार्टी होने के नाते कांग्रेस आरसीईपी वार्ताओं और समझौते का पूरा विरोध करती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा देश एक गंभीर आर्थिक संकट और मंदी की ओर बढ़ रहा है। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था के लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। कृषि, रोजगार, उद्योग और व्यापार तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के अन्य सभी क्षेत्र दिन ब दिन संकट की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार के लिये यह वक्त जिम्मेदार बनने का है। ’’
एंटनी ने कहा कि यह सरकार का कर्तव्य है कि वह अर्थव्वस्था में शीघ्रता से नयी जान फूंकने के लिये अपने सभी संसाधनों को झोंक दे।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकताएं गलत हैं और वह आम आदमी की मुश्किलों को दूर करने तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दे रही है।
उन्होंने कहा कि जब लोग अपने रोजमर्रा के जीवन के लिये संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में त्वरित समाधान करने और एक पैकेज तैयार करने तथा अर्थव्यवस्था में नयी जान फूंकने के बजाय वे (सरकार) आरसीईपी समझौते पर चर्चा करने में वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि आरसीईपी समझौते के खतरों पर बैठक में चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि किसान संकट में हैं और यह (समझौता) उनकी तथा मछुआरों की जिंगदी बदतर करने जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस ने देश भर में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करने का फैसला किया है। हम प्रदेश कांग्रेस इकाइयों को व्यापक आंदोलन कार्यक्रम के लिये और आरसीईपी के बारे में जागरूकता अभियान के लिये पहले ही निर्देश दे चुके हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर हम आरसीईपी के खिलाफ एक साझा आंदोलन मंच बनाने के लिये समान विचारधारा वाली पार्टियों, विपक्षी दलों का सहयोग मांगेंगे। कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस समितियों को पांच नवंबर से 15 नवंबर के बीच आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के मुद्दे पर प्रदर्शन करने का निर्देश पहले ही दे चुकी है। ’’
वहीं, पार्टी के नेता जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आरसीईपी के मौजूदा मसौदे से ‘‘राष्ट्रीय हित’’ को हटा दिया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारी अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है, आयात को उदार बनाया जा रहा है, ऐसे वक्त में आरसीईपी पर हस्ताक्षर आत्महत्या करने जैसा है।’’
उन्होंने इस बात से इनकार किया कि कांग्रेस ने इस मुद्दे पर पलटी मार ली है।
सुरजेवाला ने कहा कि आरसीईपी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। यदि इस पर आगे बढ़ा गया तो देश का व्यापार घाटा और बढ़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद चीन भारत में बड़ी संख्या एवं मात्रा में अपने सस्ते माल सीधे भेजेगा और इससे हमारे स्थानीय उद्योगों को नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को लगता है कि यह समझौता राष्ट्र हित में नहीं है। रमेश ने ‘अमूल’ के प्रबंध निदेशक द्वारा लिखा एक पत्र भी साझा किया।