परिधान क्षेत्र के लिए विशेष पैकेज के प्रावधान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रदेश में छोटे-छोटे उद्योगों का जाल फैलाकर मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाने के संकल्प के दृष्टिगत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने एमएसएमई विकास नीति 2021 घोषित की है।
सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम मंत्री श्री ओमप्रकाश सखलेचा ने कहा है कि एमएसएमई विकास नीति के नाम से जानी जाने वाली इस नीति में प्रायः सभी सेक्टर कवर किये गए है। उद्योगों को सुविधाएँ तथा रियायतों के साथ सर्वाधिक फोकस स्थानीय युवाओं को भारी संख्या में रोजगार की उपलब्धता भी सुनिश्चित करना है। नीति में परिधान क्षेत्र में निवेशकों के लिए अनेक रियायतों के साथ सुविधाएँ देने का प्रावधान किया गया है।
नीति के प्रावधानों की जानकारी देते हुए एमएसएमई विभाग के सचिव एवं उद्योग आयुक्त श्री पी नरहरि ने बताया कि नवीन रेडीमेड गारमेंट एवं मेडअप्स का निर्माण करने वाली इकाई, जिसमें यंत्र – संयंत्र में न्यूनतम एक करोड़ रुपये एवं अधिकतम 10 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली ऐसी इकाईयाँ जिसमें न्यूनतम 25 नियमित कर्मचारी हो, के प्रत्येक नियमित कर्मचारी, जो मध्यप्रदेश का स्थाई निवासी है, के वेतन का 25 प्रतिशत अधिकतम 2500 रुपये प्रतिमाह, कुल 5 लाख रूपये की वार्षिक सीमा तक, 5 वर्ष तक “वेतन अनुदान” के रूप में प्रदान किया जाएगा।
नवीन रेडीमेड गारमेंट एवं मेडअप्स का निर्माण करने वाली एमएसएमई इकाई, जिसमें यंत्र-संयंत्र में 10 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया हो, को भी सहायता, सुविधाएं प्रदत्त कि जाने का प्रावधान है। ब्याज अनुदान के तहत भारत सरकार, वस्त्र मंत्रालय की संशोधित टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन फण्ड स्कीम में मान्य मशीनरी पर वित्तीय संस्थाओं जैसे बैंकों से लिये गये टर्म लोन पर 5 प्रतिशत की दर से 7 वर्षों के लिये ब्याज अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह प्रशिक्षण व्यय प्रतिपूर्ति के तहत टेक्सटाइल परियोजनाओं को तकनीकी एवं कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता के दृष्टिगत कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के लिये व्यय प्रतिपूर्ति की सहायता प्रति नवीन कर्मचारी रूपए 13 हजार पांच वर्षों के लिये दी जाएगी। यह सहायता केवल मध्यप्रदेश के मूल निवासी कर्मचारियों के मामले में प्राप्त होगी।
रोजगार सृजन अनुदान के अंतर्गत नियोक्ता द्वारा इकाई में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से प्रथम आठ वर्ष की समयावधि में नियुक्त किये गये समस्त नवीन कर्मचारियों को रूपए 5 हजार प्रति कर्मचारी प्रति माह सहायता का लाभ प्राप्त करने की पात्रता होगी। सहायता अवधि अधिकतम 5 वर्ष होगी । यह सहायता इकाई में वाणिज्यिक उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से 10 वर्ष की अवधि तक सीमित होगी। इसका आशय यह है कि आठवें वर्ष में नियुक्त नवीन कर्मचारी को उसकी नियुक्ति दिनांक से अगले दो साल तक रोजगार सृजन अनुदान की पात्रता होगी । उक्त सहायता शर्त के अध्याधीन होगी।
समयावधि अनुसार परियोजना में उत्पादन प्रारंभ होने के दिनांक से कुल नियोजित कर्मचारियों में से मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को उपलब्ध रोजगार का न्यूनतम औसत प्रतिशत 50 प्रतिशत नियम अनुसार देय होगा। एक वर्ष के अंदर 50 प्रतिशत, तीन वर्ष के अंदर 75 प्रतिशत और पांच वर्ष के अंदर 90 प्रतिशत अनुदान सहायता दी जाएगी। उक्त शर्त की पूर्ति न करने पर इकाई को उपलब्ध करायी जा रही रोजगार सृजन अनुदान सहायता में समानुपातिक रूप से कटौती की जाएगी।
स्टांप ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क की प्रतिपूर्ति का भी प्रावधान एमएसएमई नीति में किया गया है। ऐसी इकाईयाँ जो राज्य सरकार द्वारा स्थापित औद्योगिक क्षेत्र के पट्टे पर भूमि लेती है, उन्हें पट्टे की भूमि पर प्रभारित स्टाम्प ड्यूटी एवं पंजीयन शुल्क की प्रतिपूर्ति की जाएगी। विद्युत शुल्क पर छूट के तहत सभी पात्र नवीन इकाईयों को विद्युत कनेक्शन लेने के दिनांक से 7 वर्ष के लिये विद्युत शुल्क से नियम अनुसार छूट का प्रावधान है। विद्युत टैरिफ में रियायत के अंतर्गत नवीन विद्युत कनेक्शन पर परियोजना में वाणिज्यिक उत्पादन दिनांक से 5 वर्षों के लिये 5 रूपये प्रति यूनिट की स्थिर दर से विद्युत आपूर्ति लागू होगी।
मध्यप्रदेश एमएसएमई और औद्योगिक भूमि तथा भवन आवंटन एवं प्रबंधन नियम 2021 के प्रावधान अनुसार भूमि के प्रीमियम पर प्रभावी छूट के अतिरिक्त गारमेंटिंग इकाईयों को औद्योगिक क्षेत्र में पट्टे पर भूमि लेने की दशा में इकाईयों पर प्रभारित विकास शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट प्रदान की जाएगी। उल्लेखित सुविधाएँ केवल औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग तथा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग अंतर्गत अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र, क्लस्टर में स्थापित इकाईयों को ही प्राप्त होगी।
उद्योग आयुक्त ने बताया कि परिधान क्षेत्र की इकाईयों के लिये औद्योगिक क्षेत्र, बहुमंजिला औद्योगिक परिसर, क्लस्टर के विकासकर्ता को विकास में किये गये व्यय का 60 प्रतिशत अधिकतम 5 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की जाएगी। इस विशेष पैकेज का लाभ प्राप्त करने वाली इकाई इस नीति अंतर्गत घोषित अन्य शेष सुविधाएँ जो समान प्रकार की न हों, पात्रतानुसार प्राप्त कर सकेगी।