उपार्जित गेहूँ का शत-प्रतिशत भण्डारण एवं भुगतान सुनिश्चित करें- मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिए निर्देश
उपार्जित गेहूँ का शत-प्रतिशत भण्डारण एवं भुगतान सुनिश्चित करें- मुख्यमंत्री श्री चौहान ने दिए निर्देश
भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने निर्देश दिये कि प्रदेश में उपार्जित गेहूँ का शत-प्रतिशत भण्डारण सुनिश्चित करते हुए किसानों के शेष बचे भुगतान की कार्यवाही भी तत्काल करें। बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुख्यमंत्री गेहूँ उपार्जन एवं भण्डारण की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में उपार्जन का कार्य पूर्ण हो चुका है, वहाँ भण्डारण के लिये आवश्यक वेयरहाउस की व्यवस्था की जाये। उपार्जित गेहूँ एवं चना को बारिश से कहीं भी क्षति नहीं पहुँचना चाहिये। जिला कलेक्टर अपने कार्यक्षेत्र में इसकी प्रतिदिन समीक्षा भी करें।
बैठक में जानकारी जानकारी दी गई कि प्रदेश में अब भण्डारण एक करोड़ 28 लाख 13 हजार मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन कर लिया गया है। देवास, इंदौर और उज्जैन में उपार्जन चल रहा है। कुल 15 लाख 74 हजार किसानों से यह उपार्जन किया गया है। मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस ने कहा खाद्य नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग इस कार्य की सूक्ष्म मानिटरिंग कर सभी व्यवस्थाएं पूर्ण करें।
प्रमुख सचिव खाद्य श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि अब तक 20 हजार करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है। कुल 14 लाख 8 हजार किसानों के खाते में राशि जमा की जा चुकी है। कुल 21 हजार 174 करोड़ की राशि का भुगतान किया जाना है।
प्रमुख सचिव कृषि श्री अजीत केसरी ने बताया कि प्रदेश में 5 लाख 50 हजार मीट्रिक टन चने की खरीदी की जा चुकी है। इसमें से 75 प्रतिशत चने का परिवहन भी पूरा किया जा चुका है अभी 15 जून तक प्रदेश के जिलों में चने की खरीद चल रही उपार्जित चने में से 95 प्रतिशत भंडारण कर लिया गया है।
मध्यप्रदेश में मिला 53 लाख को रोजगार
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में 53 लाख श्रमिकों को रोजगार से जोड़ा गया है। इन श्रमिकों को विभिन्न योजनाओं में संचालित कार्यों से संलग्न किया गया। श्रम सिद्धि अभियान के तहत 7 लाख 56 हजार जॉब कार्ड प्रदान किए गए हैं जो गत वर्ष से 4 गुना से भी अधिक है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने निर्देश दिए कि जहाँ अनुमति नहीं है वहां किसी भी स्थिति में मनरेगा कार्यों में मशीनों का उपयोग न किया जाए।