उच्च शिक्षा का स्वर्णिम वर्ष
भोपाल । उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता से युवाओं का स्वर्णिम भविष्य सुनिश्चित होता है। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष में ही उल्लेखनीय कदम उठाकर करोड़ों युवाओं के मन में उनके सुनहरे कल का विश्वास जगाया है। देश के चुनिंदा और बेहतर शिक्षा के लिए अग्रणी प्रदेशों के समकक्ष बनने की ओर मध्यप्रदेश ने शिक्षक-छात्र अनुपात बेहतर करने के साथ मजबूती से कदम बढ़ाये हैं। आधुनिक संसाधनों से शिक्षा संस्थानों को परिपूर्ण करना, अधोसंरचना का निर्माण, बेटियों के लिए सुलभ और बेहतर शिक्षा, प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाने, कौशल विकास और रोजगारमुखी शिक्षा, ग्रंथपाल और क्रीड़ा अधिकारियों की नियुक्ति, ई-लायब्रेरी और खेल मैदान की उपलब्धता जैसी नीतियों के लागू और पूरा होने से प्रदेश का शैक्षणिक परिवेश रचनात्मक और विश्वसनीय बना है।
मध्यप्रदेश ने उच्च शिक्षा की अनदेखी का बुरा दौर देखा है, महाविद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थी कई सालों से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे थे, इसका असर प्रदेश में शिक्षा के स्तर पर भी पड़ा। लेकिन वर्तमान सरकार युवाओं का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए कृत-संकल्पित है। कमलनाथ सरकार ने प्रतिबद्धता से इस ओर कदम उठाए हैं। इसीलिए प्रदेश के शिक्षा संस्थान अब प्राध्यापक विहीन नहीं रहेंगे। उच्च स्तर की परीक्षाओं में चयनित हमारे काबिल शिक्षक प्रदेश के कोने-कोने में उत्कृष्ट शिक्षा देने के लिए विद्यार्थियों के बीच उपलब्ध होंगे। आधुनिकतम लायब्रेरी में उच्च स्तर और गुणवत्तापूर्ण पुस्तकें हों और उसका लाभ आम विद्यार्थी को मिले, इसलिए ग्रंथपालों की नियुक्ति की गई है। शिक्षा के साथ युवा वर्ग खेल की विधाओं में भी राज्य और देश का नाम रोशन करें, इसलिए कोई भी महाविद्यालय अब क्रीड़ा अधिकारी विहीन नहीं होगा, यह सुनिश्चित किया जा रहा है।
शिक्षा संस्थानों का उद्देश्य विद्यार्थी के शैक्षणिक विकास के साथ उसका सर्वांगीण विकास भी है। प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाते हुए इसे आम विद्यार्थी के लिए सुलभ बनाया गया है। महाविद्यालयों की अपनी जमीन हो और आधुनिक संसाधनों के साथ उनका अपना खेल मैदान, गार्डन इत्यादि भी हो। कमलनाथ सरकार ने समस्त शासकीय महाविद्यालयों की भूमि का स्वामित्व सुनिश्चित करने के लिए भूमि सुरक्षा अभियान शुरू किया है, जिसे इस साल तक पूर्ण करने की योजना है। इसमें 30 वर्षों की विकास योजना को आधार बनाकर विकास किया जा रहा है। शिक्षा संस्थानों की अधोसंरचना विकास के कार्य लगातार किए जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए वर्चुअल कक्षा का प्रसारण लगातार किया जा रहा है, जिससे प्रदेश के कोने-कोने तक शिक्षा के वातावरण को बेहतर और सर्वसुलभ बनाने में मदद मिल रही है।
उच्च शिक्षा विभाग में पिछले कई वर्षों से कर्मचारियों-अधिकारियों की लंबित शिकायतों का अम्बार लग चुका है। अफसोस है कि पिछले कुछ वर्षों से इन समस्याओं की अनदेखी की गई। कर्मचारियों-अधिकारियों की लंबित मांगों के अविलंब निवारण के लिए आंतरिक शिकायत निवारण कमेटी कृत-संकल्पित होकर काम कर रही है। अब राजीव गाँधी ज्ञान ज्योति अभियान के द्वारा प्राध्यापकों के ज्ञान और अनुसंधान का लाभ सभी को मिले और उनकी काबिलियत शासन के उच्च स्तर तक पहुँचे, इस दिशा में कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में उद्यमिता कौशल विकास एवं रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिये नॉलेज कार्पोरेशन से विद्यार्थियों को उत्कृष्ट शिक्षा के साथ रोजगार मिलने की संभावनाएं सुनिश्चित होगी। विद्यार्थी में उद्यमिता कौशल ,व्यक्तित्व विकास, अंग्रेजी भाषा कौशल, डिजिटल लिस्ट्रेसी और क्म्युनिकेशन स्किल को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में स्किल विश्वविद्यालय की स्थपना से औद्योगिक नवाचार की नई संभावनाएं जागेंगी। शैक्षणिक पाठयक्रमों में औद्योगिक नवाचार के तहत स्थानीय संसाधनों एवं स्थानीय बड़े,छोटे एवं मझोले उद्योग की जरूरत के अनुसार विभिन्न पाठयक्रम तैयार करने और पी.पी.पी.मॉडल पर उद्योगों के द्वारा प्रशिक्षित ट्रेनरों से प्रशिक्षिण दिए जाने से युवाओं को रोजगार मिलेगा और कौशल विकास की ओर युवा अग्रसर भी होंगे।
कमल नाथ सरकार शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए नवाचार के कई कार्य कर रही है। इसके अन्तर्गत प्रवेश प्रक्रिया को नियमित और समयावधि में पूर्ण करने के लिए सुधार के साथ एम.पी.ऑननाइन को बेहतर बनाया गया है, जिससे समय पर प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हुई है। बालिकाओं के लिए प्रवेश शुल्क पूरी तरह माफ करने से लाखों बेटियाँ लाभांवित हुई हैं।
बेटियों की सुरक्षा, सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता में शुमार है। कन्या महाविद्यालय में पुलिस चौकी की स्थापना कर उन्हें बेहतर और सुरक्षित शैक्षणिक माहौल दिया जा रहा है। हमारा लक्ष्य है कि प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था,उच्च शिक्षा कौशल एवं विकास गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए, जिससे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के लिए भी शिक्षित किया जा सके। हम शिक्षा का ढांचा कुछ इस प्रकार संचालित करने जा रहे है, जिससे विद्यार्थी का सर्वागीण विकास हो और वह उन्नति की ओर अग्रसर हो सके, अर्थात उसकी आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक और भौतिक उन्नति एक साथ हो।
मध्यप्रदेश के करोड़ों लोगों की आशाओं और अपेक्षाओं का यह वर्ष उमंग और विश्वास का प्रतीक बन गया है। अच्छी और बेहतर शिक्षा से प्रदेश के युवाओं का भविष्य बेहतर बने, इस लक्ष्य को लेकर कमलनाथ सरकार निरंतर कार्य कर रही और इसके उजले परिणाम भी सामने आ रहे हैं। बहरहाल बेहतर शिक्षा से स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण की शानदार शुरूआत हो चुकी है