आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ऐलोपेथी से कमतर नहीं : जनसम्पर्क मंत्री श्री शर्मा
भोपाल। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति ऐलोपेथी चिकित्सा से कमतर नहीं है। अनेक मामलों में देखने में आता है कि ऐलोपेथी में आराम नहीं मिलने पर रोगी आयुर्वेदिक चिकित्सा से स्वस्थ होते हैं। जनसम्पर्क, विधि एवं विधायी कार्य मंत्री श्री पी.सी. शर्मा ने यह बात आज धन्वन्तरि जयंती पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में कही। समरोह का आयोजन नर्मदा भवन, तुलसी नगर में किया गया।
मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद प्राचीन चिकित्सा पद्धति है। भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का प्रचलन शुरू से रहा है और आज भी इसमें लोगों का विश्वास है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से सभी रोगों का इलाज संभव है। मंत्री श्री शर्मा ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दिया जा रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे आयुर्वेद चिकित्सा को और लोकप्रिय बनाने के लिये काम करें। मंत्री श्री शर्मा ने व्यक्तिगत अनुभव का उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ वर्ष पहले उनके निकटतम मित्र ऐलोपेथिक डॉक्टर के परिवार के सदस्य को पेट संबंधी ऐसी बीमारी हुई, जिसकी सर्जरी किया जाना जरूरी था और वह व्यक्ति सर्जरी करवाने के लिये तैयार नहीं था। इस स्थिति में आयुर्वेदिक उपचार दिया गया और वह पूरी तरह से ठीक हो गया। इसके बाद उस परिवार के एलोपेथिक डॉक्टर रोगियों को आयुर्वेदिक औषधियाँ भी उपचार में दिया करते थे। मंत्री श्री शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में काम करने वाले चिकित्सकों को समिति द्वारा सम्मानित करने की पहल भी प्रशंसनीय है।
राज्य स्तरीय धन्वन्तरि समारोह समिति द्वारा आयोजित समारोह में आयुर्वेद चिकित्सकों को वर्ष 2019 के पंडित उद्धवदास मेहता स्मृति चिकित्सा सेवा सम्मान प्रदान किए गए। समारोह को पूर्व मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता, पीठाधीश्वर करूणाधाम आश्रम श्री सुदेश जी शांडिल्य, समिति के अध्यक्ष श्री कैलाश पंत और डॉ. दीपक मेहता ने भी संबोधित किया।