भोपाल । आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिये है कि आदिवासी क्षेत्रों में चल रहे विकास कार्यों की निगरानी व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाये। उन्होंने आदिवासी युवाओं में रोजगार के अवसर बनाने के लिये कौशल विकास के कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने की बात भी कही। आदिम जाति कल्याण मंत्री आज मंत्रालय में आदिम जाति क्षेत्रीय विकास योजनाओं की समीक्षा कर रही थीं। उन्होंने अधिकारियों को बजट का शत-प्रतिशत उपयोग किये जाने के साथ ही निर्माण कार्य समय-सीमा में पूरा कराये जाने के भी निर्देश दिये।
आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा कि आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये महिला स्व-सहायता समूह के कौशल विकास पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है। स्व-सहायता समूह द्वारा जिन वस्तुओं को बनाया जा रहा है उनके मार्केटिंग की भी बेहतर व्यवस्था की जाये। मंत्री सुश्री मीना सिंह ने कहा कि आदिवासी विभाग के बजट से निर्माण कार्य उन क्षेत्रों में कराये जाये, जिन क्षेत्रों में आदिवासी आबादी 75 प्रतिशत से अधिक हो।
बैठक में बताया गया कि आदिम जाति क्षेत्रीय विकास के माध्यम से परियोजना क्षेत्र में अधोसंरचना विकास कार्य, परिवार मूलक योजना और वन अधिकार अधिनियम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस वर्ष विभाग द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के लिये 74 करोड़ 46 लाख रुपये के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे गये हैं। बैठक में जानकारी दी गयी कि आदिवासी उप योजना विशेष केन्द्रीय सहायता में प्रदेश को पिछले वर्ष 2019-20 में 200 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मंजूर की गई थीं।
बैठक में संचालक सुश्री शैलबाला मार्टिन ने बताया कि प्रदेश के आदिवासी जिलों के 89 विकास खंडों में ऐसे 512 हाट-बाजार को चिन्हित किया गया है, जहाँ बैंकिंग सेवा नहीं है। इस कारण इन चयनित स्थानों में एटीएम लगाने के लिये 12 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी गई है।
वन अधिकार अधिनियम के क्रियान्वयन के संबंध में बताया गया कि निरस्त और लम्बित दावों के निराकरण के लिए एम.पी. वनमित्र सॉफ्टवेयर के माध्यम से कार्यवाही की जा रही है। व्यक्तिगत दावों के निराकरण के लिये 30 जून 2020 की समय-सीमा तय की गई है।