भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में मध्यप्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। मध्यप्रदेश में कृषि, उद्यानिकी, सहकारिता, मत्स्य पालन, पशुपालन और उद्योग के क्षेत्र में रोजगारमूलक कार्यों के माध्यम से सशक्त अर्थव्यवस्था के लिये अधिकतम प्रयास होंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में मंत्रिपरिषद के सदस्यों के साथ वित्त मंत्री भारत सरकार के वक्तव्य के बिन्दुओं पर मध्यप्रदेश में विभिन्न विभागों की तैयारियों के संबंध में प्रस्तुतिकरण के पश्चात चर्चा कर रहे थे। इस दौरान बताया गया कि प्रदेश में कोरोना संकट के फलस्वरूप लॉकडाउन की लगभग दो माह की अवधि में 4600 करोड़ रूपये की राशि किसानों के खाते में जमा कर उन्हें राहत प्रदान की जा चुकी है। इसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और किसान सम्माननिधि योजना की राशि शामिल हैं।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उद्योग क्षेत्र में इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर के विकास, बैटरी चलित वाहनों के उपयोग में मध्यप्रदेश लीड करने का प्रयास करेगा। इसी तरह पशुपालन के तहत गौवंश की रक्षा के साथ पशु नस्ल सुधार का कार्य अभियान के रूप में संचालित होगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि उद्यानिकी में कार्य की काफी संभावना हैं। प्रदेश में मधुमक्खी पालन जैसे लाभकारी कार्य से लोगों को जोड़ने के प्रयास बढ़ाए जायेंगे। विशेष रूप से मुरैना और भिण्ड जिलों में इस कार्य का विस्तार किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अंतर्विभागीय समन्वय से तालाब निर्माण और मत्स्य पालन के कार्यों को जोड़कर किसान के हित में योजना लागू करने के निर्देश दिये।
प्रस्तुतिकरण और चर्चा
किसान कल्याण तथा कृषि विकास : – प्रदेश में 115 लाख मेट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन हुआ है। इसके साथ ही चना, मसूर और सरसों का उपार्जन भी 2.13 लाख मेट्रिक टन हुआ है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 2990 करोड़ रूपये हितग्राहियों को दिये गये हैं। एफ.पी.ओ. (फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन) की स्थापना और सुदृढ़ीकरण के लिये भी कार्य-योजना बनाई जा रही है। एक हजार नवीन एफ.पी.ओ. का लक्ष्य है। एग्री इन्टरप्रिन्योर और एग्री स्टार्टअप में 500 का लक्ष्य रखते हुये अधोसंरचना निर्माण का कार्य किया जायेगा। कृषि विपणन क्षेत्र में सुधार के अंतर्गत ई-ट्रेडिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। मण्डी अधिनियम में परिवर्तन और यूनिफाइड लायसेन्स की व्यवस्था इसी सिलसिले में की गई है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में तीसरे क्रम पर है। लॉकडाउन की अवधि में लगभग 85 लाख परिवारों को 1700 करोड़ रूपए का वितरण किया गया है।
सहकारिता :- अपेक्स बैंक को नाबार्ड द्वारा 2000 करोड़ रूपए स्वीकृत किये गये हैं। खरीफ 2019 में दिये गये फसल ऋण के लिये अंतिम तिथि 31 मई तक बढ़ाई गई है। इससे 16 लाख किसानों को करीब 47 करोड़ रूपये की ब्याज सहायता भारत सरकार से और समय पर ऋण अदायगी पर प्रोत्साहन के रूप में प्राप्त होने की आशा है। प्रदेश में किसानों को पात्रतानुसार चरणबद्ध कार्ययोजना में के.सी.सी. (किसान क्रेडिट कार्ड) की उपलब्धता रहेगी। कृषि अधोसंरचना फण्ड के संबंध में भारत सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त होने पर कार्ययोजना के लिये कार्रवाई की जायेगी। सूक्ष्म खाद्य उद्यमों के क्षेत्र में अनेक गतिविधियाँ संचालित की जायेंगी। प्रदेश में 50 क्लस्टर का विकास प्रस्तावित है। इन्फ्रास्ट्रक्चर लॉजिस्टिक, कैपेसिटी बिल्डिंग और हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिये 200 नई इकाइयों की स्थापना और 10 लाख हेक्टेयर में अगले दो वर्ष में औषधीय पौधे लगाने की योजना है। मधुमक्खी पालन के अंतर्गत 23 हजार 600 इकाइयाँ चल रही हैं।
मछुआ कल्याण तथा मत्स्य विकास :- मत्स्य पालन के क्षेत्र में नई प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिपरिषद से अनुमोदित हुई है। इसमें राज्यों को संस्थागत सहयोग के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जायेगी। मध्यप्रदेश को लगभग 30 करोड़ सालाना अनुदान राशि मिलने का अनुमान है।
पशुपालन :- प्रदेश में पशुओं में शत-प्रतिशत टीकाकरण और पशुओं की टैगिंग का कार्य होगा। सभी 290 लाख गौ और भैंस वंशीय पशुओं को टैग लगाने का कार्य चल भी रहा है। अब तक 70 लाख पशुओं को टैग लगाए जा चुके हैं। भारत सरकार द्वारा करीब 50 करोड़ रूपये की राशि प्रदान की गई है।
उद्योग :- आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत औद्योगिक विकास के लिये मध्यप्रदेश में 12 हजार 507 हेक्टेयर का भूमि बैंक विकसित किया गया है। निजी क्षेत्र की भागीदारी को आमंत्रित करने की पहल की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के लिये हवाईअड्डों, राजमार्गों और प्रमुख रेलवों स्टेशनों के निकटवर्ती क्षेत्रों में भूमि चिन्हित की जायेगी। प्रदेश की कार्ययोजना में औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिये निजी क्षेत्रों की इक्विटी के रूप में भागीदारी आमंत्रित करने की संभावनाओं को देखा जायेगा। प्रदेश में 4 परिधान पार्क विकसित करने का प्रस्ताव हैं जो इंदौर, भोपाल, छिंदवाड़ा और रतलाम में होंगे। केमिकल और फार्मास्युटिकल पार्क भी प्रस्तावित हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग और अन्य प्रदेशों के बड़े नगरों जैसे नागपुर, अहमदाबाद आदि से कनेक्टिविटी बेहतर बनाने की दिशा में भी कार्य प्रस्तावित है। भोपाल-इंदौर राजमार्ग पर निवेश आकर्षित करने के लिये बेहतर जल उपलब्धता के लिये भी विभागों से समन्वय किया जा रहा है।
स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्र, जल संसाधन मंत्री श्री तुलसी सिलावट, कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री श्री कमल पटेल, खाद्य और सहकारिता मंत्री श्री गोविन्द सिंह राजपूत और आदिम जाति कल्याण मंत्री सुश्री मीना सिंह ने आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिये मध्यप्रदेश में विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों का संचालन बढ़ाने के संबंध में सुझाव दिए। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव उपस्थित थे।