राज्यों के लिये केंद्र प्रोत्साहन देने की भूमिका
निभाए- मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ
केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़े
मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ का नई दिल्ली में इंडिया इकोनॉमिक समिट के
सत्र "स्टेट्स ऑफ़ यूनियन" संबोधित किया
भोपाल,
3 अक्टूबर 2019 ( एमपीपोस्ट ) । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री कमल
नाथ ने कहा कि केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियाँ
प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों के विकास को प्रभावित कर रहा
है। उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए केंद्र प्रोत्साहन देने की भूमिका
निभाए और केंद्रीय योजनाओं में राज्यों की हिस्सेदारी को बढ़ाए।
श्री कमल नाथ आज नई दिल्ली में वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम और भारतीय उद्योग
परिसंघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इंडिया इकोनॉमिक समिट के सत्र
"स्टेट्स ऑफ़ यूनियन" को संबोधित कर रहे थे। चर्चा में पंजाब के
मुख्यमंत्री, मेघालय, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के प्रतिनिधि ने भाग
लिया।
केंद्र राज्य संबंधों में केंद्र सरकार की भूमिका पर बोलते हुए उन्होंने
कहा कि केंद्र सरकार की भूमिका प्रोत्साहन देने वाली होनी चाहिए, लेकिन
दुर्भाग्य से यह बाधा डालने वाली सिद्ध हो रही है। केंद्र की योजनाओं
में राज्यों की हिस्सेदारी 90:10 से घटकर 60:40 हो रही है, जिसके कारण
कोई आर्थिक गतिविधि शुरू नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र
सरकार की भूमिका राज्य सरकारों की क्षमता को सामने लाने की होनी चाहिए
क्योंकि हर राज्य एक दूसरे से अलग है और हर राज्य की अपनी विशेषताएँ
है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहाँ तक नीति आयोग की भूमिका का सवाल है यह
अनुसंधान और नीतियों के निर्धारण तक सीमित है। इसके पास कोई अधिकार नहीं
है, जो पहले योजना आयोग के पास हुआ करते थे। जीएसटी सुधारों के संबंध
में श्री कमल नाथ ने इसे 'अप्रिय गाथा' कहा जिसे ठीक से लागू नहीं किया
गया।अब तक जीएसटी नीति में लगभग तीन चार सौ संशोधन किए जा चुके हैं।
उन्होंने जीएसटी परिषद के फैसलों पर उंगली उठाते हुए कहा कि इस विषय पर
कोई बौद्धिक समझ नही थी और फैसले पूर्व निर्धारित थे। इसे लागू करने के
तरीके अव्यवहारिक थे।
मजबूत शहरी अधोसंरचना और स्थानीय शासन के मुद्दे पर बोलते हुए श्री कमल
नाथ ने कहा कि भारत का शहरीकरण अगले दशक की सबसे बड़ी मानवीय घटना होगी।
उन्होंने इस मुद्दे से निपटने के लिए बुनियादी बातों से शुरू करने के
लिए टाउन प्लानर्स का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्र अपनी
क्षमता से अधिक विकसित हो रहे हैं। वर्तमान में शहरीकरण अपने आप हो रहा
है। उप-नगरीयकरण इसका उपाय है । इन मुद्दों के समाधान के लिए नीतियों
का निर्माण राज्यों में होना चाहिए। उन्होंने कृषि में चुनौतियों के
बारे में भी अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अब अधिकता को सहेजने
की समस्या का उत्तर खोजने की आवश्यकता है।
|