अतिवृष्टि को लेकर कांग्रेस को घेरने चली भाजपा,
आपसी सिरफुटौव्वल के कारण अपने प्रदर्शन की तारीख तक तय नही कर पा रही
जहां प्रदेश सरकार आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए पूरी तरह
कटिबद्ध है, वहीं भाजपा नेताओं में मची है, एक-दूसरे को नीचा दिखाने की
होड़: शोभा ओझा
भोपाल,
18 सितंबर 2019 ( एमपीपोस्ट ) । मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया
विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने बयान में कहा कि
प्रदेश भाजपा के नेताओं में, नेतृत्व व एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़
अपने चरम पर पहुंच चुकी है, जिसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चौहान, भाजपा संगठन और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के निर्देशों की साफ
अवहेलना करते हुए, बाढ़ को लेकर, सरकार के प्रति समानांतर प्रदर्शन कर
रहे हैं। प्रदेश भाजपा संगठन ने जहां अपने प्रदर्शन की तारीख 20 सितंबर
तय की है, वहीं शिवराज सिंह चौहान का व्यक्तिगत प्रदर्शन 22 सितंबर को
रखा गया है, यह जनता के प्रति शिवराज की चिंता को कम, उनकी व्यक्तिगत
महात्वाकांक्षा, बेचैनी व छटपटाहट को अधिक दर्शा रहा है।
आज जारी अपने वक्तव्य में उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती शोभा
ओझा ने कहा कि पिछले दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में, भाजपा की
पराजय के बाद, उसके नेताओं के पास कोई काम नहीं बचा है और नेतृत्व को
लेकर उनमें एक प्रतिस्पर्धा चल रही है, जो काफी आक्रामक हो गई है,
शिवराज सिंह चौहान, नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, नरेन्द्र सिंह तोमर,
प्रभात झा जैसे नेता अपना वर्चस्व दिखाने के लिए समय-समय पर अपनी
गतिविधियों और उलजलूल बयानों के द्वारा लगातार प्रदेश संगठन और उसके
अध्यक्ष राकेश सिंह के निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
श्रीमती ओझा ने कहा कि भाजपा नेताओं की आपसी सिर फुटौव्वल का आलम यह है
कि प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह द्वारा सरकार के विरूद्ध प्रदर्शन के लिए
जो अधिकृत तिथि 20 सितंबर जारी की गई है, उसकी पूरी तरह से अवहेलना करते
हुए शिवराज सिंह चौहान ने, अपने व्यक्तिगत विरोध प्रदर्शन की तिथि 22
सितंबर तय कर दी है, जिससे साफ नजर आता है कि भाजपा का संगठन और
नेतृत्व कितना लचर और कमजोर हो चुका है।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक
आपदा के संकट से जूझ रहे प्रदेश में, जब सरकार ने प्रभावितों को राहत
पहुंचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है, तब शिवराज सिंह व अन्य
भाजपा नेताओं की अवसरवादी राजनीति को प्रदेश की जनता बड़े आश्चर्य से
देखते हुए यह सोच रही है कि पिछले 15 वर्षों तक, जब प्रदेश के किसानों
और नागरिकों पर तरह-तरह के संकट मंडरा रहे थे, जनता त्राहि-त्राहि कर
रही थी, तब भाजपा के इन नेताओं की मुस्तैदी कहां चली गई थी।
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