मध्यप्रदेश को केन्द्र सरकार अतिवर्षा और बाढ़ से
हुए नुकसान के लिए 11000 करोड से अधिक का पैकेज दे- मंत्री पीसी शर्मा
भोपाल,
18 सितंबर 2019 ( एमपीपोस्ट ) । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ
प्रतिपक्ष से निरंतर यह आग्रह करते रहे हैं कि वे बाढ़ की विभीषिका पर
अपनी राजनैतिक रोटियां न सेकें। मगर दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि भाजपा के
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह हों या पूर्व मंत्री या प्रेदश भाजपा
अध्यक्ष, सभी ने प्रदेश में बनीं प्रतिकूल परिस्थितियों में नफरत और
नकारात्मकता का ऐसा वातावरण निर्मित किया, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने आज मीडिया के सम्मुख सरकार की
छवि धूमिल करने के उद्देश्य से झूठा षड्यंत्र रचते हुए कहा कि गांधी
सागर बांध से समय पर पानी नहीं छोड़ा गया और कांग्रेस सरकार ने लापरवाही
बरतते हुए गांधी सागर बांध की परिस्थितियों को सही तरीके से नहीं
सम्हाला।
मगर आज केंद्र की मोदी सरकार के सेंट्रल वाटर कमीशन का एक दल गांधी
सागर बांध की बीते दिनों की परिस्थितियों का जायजा लेने के लिए गांधी
सागर बांध पहुंचा। इस दल में हरकेश कुमार डायरेक्टर, गेट्स, सेंट्रल
वाटर कमीशन नई दिल्ली, विवेक त्रिपाठी, डायरेक्टर, सीएमडीडी, सेंट्रल
वाटर कमीशन और गुलशन राज चीफ इंजीनियर डेम सेफ्टी, सेंट्रल वाटर कमीशन
मौजूद थे। इस दल ने बांध पर निर्मित परिस्थितियों के दृष्टिगत मप्र
सरकार के जल संसाधन विभाग की प्रशंसा करते हुए इस बात को अभिप्रमाणित
किया कि सरकार ने गांधी सागर बांध पर बने बाढ़ के हालात को बहुत ही
बेहतर तरीके से संभाला। प्रथम दृष्टया मप्र जल संसाधन विभाग के निर्णय
को सही ठहराया और इस तरह से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री
शिवराजसिंह चौहान दुष्प्रचार के अपने षड्यंत्र में बेनकाब हुए।
ज्ञातव्य है कि गांधी सागर बांध के केचमेंट एरिया में 13-14 सितम्बर को
अत्यधिक भारी वर्षा प्रारंभ हुई और आठ घंटे में ही गांधी सागर बाँध की
12 में से नौ रेन गेज साइट पर चार घंटे में ही 100 मिलीमीटर से भी अधिक
वर्षा दर्ज की गई। कुछ जगहों पर तो 300 मिलीमीटर तक पहुंच गई। चूंकि
प्रशासन सचेत था, इसलिए गांधी सागर बांध के फुल रिजरवायर लेबल 1312 फीट
के पहले ही अर्थात 1310.2 फीट पर 16 गेट खोल दिये गये थे और जब कैचमेंट
एरिया में इतने अधिक पानी की सूचना मिली तो बाकी बचे हुए तीन गेट भी
खोल दिये गये।
अप्रत्याशित वर्षा:-
कम समय में अत्याधिक बरसात की वजह से गांधी सागर बाँध में पानी की आवक
3.5 लाख क्युसेक से बढ़कर लगभग शाम 7 बजे तक 16 लाख क्युसेक से अधिक आवक
होने लगी। जबकि गांधी सागर के स्पीलवे की क्षमता 4,84,000 क्युसेक है,
इस वजह से बाँध का लेवल तेजी से बढ़ने लगा।
मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी ने दिन-रात इन परिस्थितियों पर निगाह रखीं
एवं निर्देश देते रहे तथा बाँध पर जल संसाधन विभाग के कर्मचारी और
अधिकारी लगातार पूरी हिम्मत के साथ डटे रहे और लगातार 48 घंटों तक साहस
के साथ डैम के ऊपर बने कंट्रोल रूम मैं मोर्चा संभाले रहे। इस दौरान
कंट्रोल रूम से लगातार विभाग के मुख्यालय एवं आवश्यकता अनुसार उच्च
अधिकारियों को प्रत्येक पल की लगातार खबर देते रहे। यदि अधिकारियों ने
समय पर सारे गेट न खोले होते हैं तो बहुत बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।
आप कल्पना कीजिए कि उस दौरान 8000 एमसीएम पानी बांध से निकाला गया। जबकि
गांधी सागर बांध की कुल क्षमता 6 हजार 600 एमसीएम की है।
मध्यप्रदेश सरकार का बाढ़ से हुए नुकसान का प्राथमिक मूल्यांकन:-
1. मध्यप्रदेश के 52 जिलों में से 36 जिले अत्यधिक वर्षा से प्रभावित
हुए हैं। प्रदेश की 385 तहसीलों में से 186 तहसीलों अर्थात 8000 गांवों
में अत्यधिक वर्षा से नुकसान हुआ है। प्रदेश में 24 लाख हेक्टेयर में
बोयी गई फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिससे 22 लाख किसान प्रभावित हुए
हैं। छोटे और मध्यम वर्ग के 15.96 लाख किसानों की 13.90 लाख हेक्टेयर
क्षेत्र में फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ा है। इन फसलों के नुकसान का
प्राथमिक मूल्यांकन 9600 करोड़ रूपये है।
2. मध्यप्रदेश में अतिवर्षा के जो हालात निर्मित हुए उससे प्रदेश की
सड़के, जिसमें प्रधानमंत्री ग्राम सड़क भी शामिल हैं, उसका 1566 करोड़
रूपये के नुकसान का प्रथम दृष्टया मूल्यांकन सामने आया है।
3. प्रदेश के नागरिकों के घरों को भी नुकसान पहुंचा है। कुछ पक्के और
कच्चे घरों को आंशिक रूप से नुकसान पहुंचा है तो कुछ घरों को बहुत
ज्यादा नुकसान पहुंचा है। कुल 54700 आवासों को क्षति पहुंची है, जिसका
प्राथमिक मूल्यांकन 540 करोड़ हैं।
4. इसी प्रकार सरकारी स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, अस्पताल, पंचायत भवन,
हैंडपंप, विद्युत उपकरण इत्यादि का 155 करोड़ रूपये का नुकसान सामने आया
है।
कांगे्रस सरकार तत्परता से बाढ़ की विभीषिका से लड़ती रही है। बाढ़ की
परिस्थितियों से अब तक 50 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया
गया है। होमगाड्र्स द्वारा 168, एसीईआरएफ द्वारा 111, एनडीआरए द्वारा
18 रेसक्यू आपरेशन चलाये गये। भिंड, श्योपुर और मुरैना में सेना के 151
जवानों ने बाढ़ की परिस्थितियों को संभाला। 109 राहत शिविरों में 28
हजार 445 लोगों को रखा गया। आज भी 18470 लोग राहत शिविरों में रह रहे
हैं, जिनके लिये चिकित्सा की सुविधा और भोजन का प्रबंध किया जा रहा है।
बाढ़ से मंदसौर आगर और नीमच जिले अत्यधिक प्रभावित हुये हैं।
भाजपा नेताओं से अपेक्षा है कि वे अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने की
अपेक्षा केंद्र की भाजपा सरकार से कहे कि वे 11 हजार 861 करोड़ रूपये का
पैकेज केंद्र सरकार से तुरंत स्वीकृत करायें।
मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री, मप्र शासन श्री पी.सी. शर्मा, मीडिया
अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा एवं उपाध्यक्ष श्री अभय दुबे ने संयुक्त
पत्रकार वार्ता कर बुधवार 18 सितम्बर 2019 को केन्द्र सरकार से आग्रह
किया है कि 11861 करोड से अधिक का प्राथमिक रूप में हुए नुकसान का
पैकेज के रूप में केन्द्र सरकार स्वीकृत करे।
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