प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री कमलनाथ ने
अतिवृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर, कलेक्टरों को दिये
क्षतिपूर्ति के निर्देश
अपने शासनकाल में 21000 किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार शिवराज किसानों
के मामले में न बहाएं घड़ियाली आंसू : शोभा ओझा
भोपाल,
12 सितंबर 2019 ( एमपीपोस्ट ) । मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया
विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने बयान में कहा कि
प्रदेश में हुई अतिवृष्टि के कारण फसलों को हुए नुकसान पर अपनी
राजनैतिक रोटियां सेंक रहे प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह
चैहान को करारा जवाब देते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने सभी
जिला कलेक्टरों को भारी बारिश से जान-माल और फसल के नुकसान के
प्रारंभिक आंकलन करने के निर्देश दे दिये हैं, ताकि प्रभावित किसानों
को क्षतिपूर्ति की राशि अविलंब दी जा सके।
आज जारी अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि अपने डेढ़ दशक के
कार्यकाल में 21000 किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं के लिए स्पष्ट
रूप से जिम्मेदार शिवराज सिंह को फसलों की बर्बादी पर चिंता व्यक्त करते
देखना बड़ा अजीब लग रहा है। शिवराज कह रहे हैं कि महलों में बैठकर, फसलों
की बर्बादी का आंकलन नहीं किया जा सकता, यह आश्चर्यजनक है कि यह बात वह
व्यक्ति कर रहा है, जिसकी सरकार के कार्यकाल के दौरान कर्ज, सूखे,
अतिवृष्टि और सरकार की गलत नीतियों से परेशान होकर हजारों किसान
आत्महत्याएं करने पर मजबूर थे। शिवराज सरकार के मंत्री और अधिकारी,
भ्रष्टाचार, घोटालों और अवैध उत्खनन के पैसों की संगठित लूट से अपने
महल खड़े करते हुए, बेशर्मी से यह कह रहे थे कि किसान कर्ज के कारण नहीं
बल्कि प्रेम-प्रसंगों और भूत-प्रेतों के कारण आत्महत्याएं कर रहे हैं।
अपने बयान में श्रीमती ओझा ने यह भी कहा कि सूटेड-बूटेड शिवराज के
द्वारा फसलों की बर्बादी का फर्जी और दिखावटी आंकलन, दरअसल उस घड़ियाल
के दिखावटी आंसू हैं, जो पिछले 8 महीनों से ‘‘अपनी खुराक’’ न मिल पाने
के कारण हताश, क्रोधित और उत्तेजित है।
अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि अतिवृष्टि के कारण फसलों
को हुए नुकसान के मामले में तुरंत जनहितैषी और राहतकारी निर्णय लेकर,
मध्यप्रदेश के मुख्यमत्री कमलनाथ जी ने यह सिद्ध कर दिया है कि प्रदेश
की जनता का हित उसके लिए सर्वोपरि है और ऐसे मुद्दों पर वे शिवराज सिंह
या भाजपा के किसी भी हताश नेता को क्षुद्र राजनीति करने का कोई अवसर,
किसी भी कीमत पर नहीं देंगे।
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