आज भारत को महात्मा की ज्यादा जरूरत है - कमल नाथ
(ब्लॉग)
भोपाल,
1 अक्टूबर 2019 ( एमपीपोस्ट ) । वे लोग महान है जिन्होंने इस धरती पर
महात्मा गांधी को देखा और सुना था। महात्मा गांधी जैसा व्यक्तित्व सदियों
में जन्म लेता है। महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने सच कहा था कि -
आने वाली पीढ़ियाँ शायद ही वह विश्वास करें कि इस धरती पर गांधीजी जैसा
हाड़-मांस का पुतला कभी चलता था।
आज पूरा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है। यह हम सब के लिए
अभूतपूर्व अवसर है। सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि भारत जैसे कई देशों के
लिए यह विशेष अवसर है क्योंकि महात्मा गांधी एक विश्व नागरिक थे। पूरी
दुनिया यह जानकर आश्चर्यचकित थी कि सत्य और अहिंसा के दो दिव्य अस्त्रों
के साथ भारत ने अपने नागरिक अधिकारों की लड़ाई कैसे लड़ी और जीती। पहले
दक्षिण अफ्रीकामें सत्याग्रह और फिर स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करते
हुए महात्मा गांधी विश्व के शीर्ष नेताओं की श्रेणी में गिने जाने लगे
थे। इसलिए स्वाभाविक रूप से महात्मा की 150वीं जयंती का वैश्विक महत्व
है।
आज हमें महात्मा गांधी को याद करने और उनके दर्शन को समझने की सबसे
ज्यादा जरूरत है। वह इसलिए कि भारत सहित विश्व के कई देशों की राजनीतिक,
सामाजिक और आर्थिक स्थितियों में जो तनाव चल रहा है उसका समाधान गांधी
जी के दर्शन में है। नैतिक मूल्यों और मानवीय गरिमा पर जो संकट है उसे
दूर करने में गांधीजी मदद कर सकते हैं। धर्म और जाति को लेकर उन्माद की
जो स्थिति बन रही हैं उससे बचने का उपाय गांधी जी के विचारों में है।
गांधी जी अपने समय से बहुत आगे थे। उनका जीवन शिक्षा देता है कि अच्छे
विचारों को अपना लो, बुरे विचार अपने आप दूर हो जायेंगे। विचार कोई शोभा
की वस्तु नहीं है, विचार आत्मा की शुद्धि के काम आते हैं। उनसे
मानव-कल्याण का काम किया जाता है।
आज हमें गांधी जी से बहुत सीखने की जरूरत है, उनका जीवन स्वयं एक
पाठशाला है। सत्य की पाठशाला, जहाँ जीवन मूल्यों को समझने, समझाने और
व्यावहारिक रूप में अपनाने के तौर-तरीके सिखाये जाते हैं। गांधी दर्शन
की पाठशाला अब विश्वविद्यालय का स्वरूप ले चुकी है और सबके लिए हमेशा
खुली है। यहाँ सभी धर्मों, जाति और विचारधाराओं के लोग शिक्षा लेने आ
सकते हैं।
महात्मा गांधी भारत की पहचान है । पूरे विश्व में भारत को गांधी का देश
कहते हैं। गांधीजी के बिना भारत की कल्पना अधूरी है। गांधीजी भारत के
कण-कण में दर्शनीय है। गांधीजी सर्वोदय आधारित समाज की स्थापना करना
चाहते थे । सर्वोदय का सीधा अर्थ है सबका कल्याण । सबकी समृद्धि । वे
पर्यावरण को भी जीवंत मानते थे । इसलिए पर्यावरण की रक्षा और
विवेकपूर्ण उपयोग की बात करते थे। गांधी जी एक महान शिक्षक भी थे। जिन
सर्वश्रेष्ठ और मानव हितैषी विचारों को उन्होंने अपनाया, उनका ईमानदारी
से पालन किया। सच्चाई के रास्ते पर चलने के तरीके सिखाए, जो आज पूरी
दुनिया के लिए मिसाल है। वे कर्मयोगी, ज्ञानयोगी और भक्तियोगी थे। आज
हर समाज चाहता है कि वह कर्म, ज्ञान और भक्ति का समन्वय बने और अपने
नागरिकों से इसे अपनाने की अपेक्षा करें। इसलिए गांधी जी के दर्शन में
हर धर्म का स्थान और मान-सम्मान है। आज भारत सहित पूरे विश्व में
सर्वधर्म समभाव की जरूरत है। सत्य और शांति की स्थापना की जरूरत है।
साथ ही व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुँचाए बिना तरक्की करने की जरूरत है।
मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि गांधी जी की 150वीं जयंती पर उनके जीवन
और उनके लेखन को पढ़ें। महात्मा गांधी का जीवन पढ़ने पर खुद इस सवाल का
जवाब भी मिल जाएगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उनके नहीं रहने पर क्यों
कहा था कि 'हमारे जीवन से प्रकाश चला गया।' गांधीजी को जितना पढ़ेंगे,
उतना हमारा रास्ता आसान होगा। वे कहते थे कि शिक्षा का अर्थ है
चारित्रिक दुर्गुणों के प्रति सचेत रहना और उन्हें दूर करना।
गांधी जी को अपनाना आसान है। गांधी के रास्ते पर चलना आसान है, हर
नागरिक अपने आप में गांधी हैं। यदि आप सच बोलना और सुनना चाहते हैं, यदि
आप आत्म-निर्भर बनने के लिए प्रयत्नशील हैं, यदि हर धर्म का सम्मान करते
हैं और शांति चाहते हैं, यदि अपने साथी नागरिकों की गरिमा का सम्मान
करते हैं, पर्यावरण की रक्षा और आदर करते हैं, यदि अपने कारीगरों की कला
पर गर्व करते हैं और कमजोर का साथ देते हैं, तो समझिए कि आप गांधीजी के
दर्शन पर अमल कर रहे हैं।
आइए हम सब मिलकर सर्वोदय आधारित भारत बनाने में अपनी भूमिका तय करें और
पूरी ईमानदारी से अपने कर्त्तव्य का पालन करें।
ब्लागर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री है
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